मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान को संकट मोचन माना गया है। प्रभु श्रीराम की कृपा पाने के लिए हमें हनुमानजी को प्रसन्न करना चाहिए। इनकी आज्ञा के बिना कोई भी श्रीराम तक पहुंच नहीं सकता है। मान्यता है कि हनुमानजी का नाम लेते ही जीवन के सारे संकट दूर हो जाते हैं और भक्त को किसी बात का भय नहीं सताता है। बजरंगबली की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हनुमानजी के पथ पर चलने वालों को कोई भी संकट नहीं मिलता है। कलयुग में इस धरती पर हनुमान जी सशरीर मौजूद हैं और अपने भक्तों की परेशानियों को सुनते हैं। हनुमानजी की पूजा तो पूरे देश में की जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आठों सिद्धियों और नौ निधियों के दाता का दक्षिण भारत के कर्नाटक से गहरा संबंध है? चलिए जानते हैं हनुमानजी का कर्नाटक से क्या संबंध है…

कर्नाटक से हनुमान जी का संबंध
ऐसा माना जाता है कि कर्नाटक के कोप्पल में प्रभु श्री राम के परम प्रिय भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। वैसे तो भगवान हनुमान के जन्म स्थान को लेकर कई मतभेद हैं, लेकिन फिर भी कई जगह कर्नाटक की धरती को ही बजरंग बली की जन्मस्थली बताया गया है।दरअसल कर्नाटक के कोप्पल और बेल्लारी में एक जगह है, जहां पर अंजनी पर्वत है, इस जगह को किष्किन्धा भी बोला जाता है। किष्किंधा का जिक्र त्रेता युग भी में मिलता है। इसे अंजनी पर्वत इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसी पर्वत पर माता अंजनी ने हनुमान जी के लिए तपस्या की थी, इसलिए इस जगह को हनुमान जी के जन्म से जोड़ा जाता है।
कैसा अंजनी पर्वत
अंजनी पर्वत एक ऊंचा पहाड़ है। इस पहाड़ के ऊपर महाबली हनुमान का एक मंदिर है, जहां अखंड पूजा चलती रहती है और लगातार हनुमान चालीसा पढ़ी जाती रहती है। मान्यता है कि कभी यहां वानरों की राजधानी हुआ करती थी। यहां पहुंचने वाला हर शख्स इसे देखकर चमत्कार ही समझता है।
हनुमान जी की पूजा का महत्व
भगवान हनुमान भक्तों के लिए संकटमोचन कहे जाते हैं। इनकी पूजा करने वाले भक्तों को हनुमान जी के साथ ही भगवान राम, शिवजी और शनि देव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है कि शनि की साढ़े साती और ढैय्या से पीड़ित लोग अगर हनुमान जी पूजा करें तो उन्हें इससे राहत मिलती है। साथ ही मंगल दोष भी दूर होता है।

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