कुमार विश्वास ने कहा कि राम के वन जाने से पहले जंगल दुर्भाग्य का प्रतीक हुआ करता था। लेकिन जब रघुवर के चरण पड़े तो वह पूज्य हो गया।

Haridwar News Kumar Vishwas Three days Ram Katha on harki pauri End

अपने-अपने राम कथा के तीसरे और अंतिम दिन डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि चुनौतियां जीवन में व्यक्ति को स्थापित करती हैं। उन्होंने कहा कि भगवान राम जब तक अयोध्या में रहे तब तक वह केवल राजा दशरथ के पुत्र और अयोध्या के युवराज कहालाए। लेकिन जब उन्होंने निर्वासन की चुनौती को स्वीकार्य किया तो अवधपित जगतपति बन गए। हरकी पैड़ी स्थित मालवीय घाट पर चल रही कथा के दौरान डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि इक्ष्वाकु वंश में तमाम महारथी जन्म लिए, लेकिन रघुवर केवल भगवान राम कहे गए। उन्होंने वन गमन के दौरान देश की संस्कृति यहां की चुनौतियों को देखा। युद्ध कला और कौशल के रण में उन्होंने तमाम दुष्टों का संहार किया। यदि वह भ्राता लक्ष्मण के आक्रोश से प्रेरित होते और वन गमन के आदेश को नकार देते तो न उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता और न ही वह जगतपति बनते। प्रसंग में उन्होंने कहा कि यह धरा धाम ऐसी है जहां वे लोग भी आए जिन्हें दृढ़ विश्वास था कि उनके बिना एक पत्ता तक नहीं हिल सकता। जन्म-जन्मांतर की परिचायक गंगा की धारा और कनखल जैसी भूमि के महत्व का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि इसी भूमि में लोग श्मशान में भगवान शिव के अभिषेक योग्य राख बन जाते हैं, तो अधिकांश जो शरीर से नहीं आ सकते उन्हें लोटे में आना होता है। जीवन रहते देवभूमि और मां गंगा के दश्रन पूजन स्नान आदि के लिए भी उन्होंने श्रद्धालुओं को प्रेरित किया।

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