अयोध्या। सरयू तट पर स्थित रामकथा संग्रहालय के सुंदरीकरण का काम तेजी से चल रहा है। यह संग्रहालय श्रद्धा, संस्कृति और शोध का अद्वितीय संगम बनेगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहल पर यहां देश भर से दुर्लभ ग्रंथ, पांडुलिपि और चित्र सहेजे जाएंगे। संग्रहालय में अनमोल विरासतों का खजाना होगा, श्रद्धालु भी इनके दर्शन कर सकेंगे। यह संग्रहालय न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि यह शोध करने वाले विद्वानों के लिए भी एक बड़ा मंच बनेगा।
विशेष बात यह है कि यहां विदेशों में होने वाली रामलीला के सामानों और उनके ऐतिहासिक दस्तावेज भी प्रदर्शित किए जाएंगे। विदेशी रामलीला परंपरा की जानकारी भी विभिन्न माध्यमों से दी जाएगी। इससे श्रीराम की कथा के वैश्विक प्रभाव को दर्शाया जा सकेगा। राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से बताया गया है कि रामकथा संग्रहालय के फेज वन का काम पूरा हो गया है। जबकि फेज दो का करीब 60 फीसदी काम पूरा हो चुका है।
फेज वन में भवन की मरम्मत का काम किया गया है। भवन में सीलन की समस्या को दूर किया गया है। फेज दो में गैलरियों का निर्माण व फसाड का काम चल रहा है। संग्रहालय में 18 गैलरियों का निर्माण होना है। सभी गैलरियों की पटकथा फाइनल हो चुकी है। इन पर तकनीकी काम चल रहा है। गैलरियों के प्रदर्शन में थ्री डी, फाइव डी, सेवन डी, होलोग्राफिक समेत एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। राम मंदिर के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि रामकथा संग्रहालय अप्रैल 2026 तक श्रद्धालुओं के लिए खोलने की तैयारी है।
रामकथा संग्रहालय में 300 साल पुरानी हस्त लिखित रामायण के भी दर्शन होंगे। यह रामायण वर्तमान में बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल में संरक्षित है। विश्वविद्यालय ने राम मंदिर ट्रस्ट से संपर्क किया है, ताकि इस दुर्लभ रामायण को रामकथा संग्रहालय में हस्तांतरित किया जा सकेगा। इसके लिए जल्द ही राम मंदिर ट्रस्ट और भोपाल विश्वविद्यालय के बीच एमओयू की भी तैयारी हो रही है। इसी तरह अन्य कई विश्वविद्यालय ट्रस्ट के संपर्क में है, जिनसे एमओयू करने की योजना बन रही है।
रामकथा संग्रहालय के सुंदरीकरण के काम में समय इसलिए लग रहा है कि आईआईटी रुड़की के इंजीनियरों ने इस भवन की डिजाइन में बदलाव कर दिया है। अब यह भवन बिल्कुल आधुनिक तरीके से संवारा जा रहा है। अभी तक इसका स्वरूप इस तरह था, जैसे कॉलोनियों के भवनों का हाेता है। जब सुंदरीकरण का काम शुरू हुआ तो इसका बजट 50 लाख तय किया गया था, लेकिन अब इसे आधुनिक स्वरूप देने में 200 करोड़ के खर्च का अनुमान है।