संत रविदास जयंती को लेकर वाराणसी में जोरों से तैयारियां की जा रही हैं। संत रविदास के मूर्ति का अनावरण पीएम मोदी के हाथों होना है। ऐसे में लोगों में काफी क्रेज देखने को मिल रहा है। आइए जानते हैं रविदास मंदिर से जुड़ी खास बातें…

संत रविदास के मंदिर को स्वर्णमंडित करने का जो संकल्प रैदासियों ने लिया वह अब पूरा होने की ओर अग्रसर है। बनारस के दूसरे स्वर्ण मंदिर के रूप में विख्यात संत रविदास के मंदिर की चौखट से लेकर शिखर तक स्वर्ण की आभा नजर आती है। संत रविदास मंदिर के पास दो सौ किलोग्राम से अधिक का सोना है। रविदास मंदिर की चौखट, दरवाजे, स्वर्ण शिखर के साथ ही संत की पालकी और दीया भी सोने का है। रविदास मंदिर में उनकी प्रतिमा के आगे जलने वाला दीपक सोने से बना हुआ है। इसमें अखंड दीप जलता है और इस दीपक की कीमत करोड़ों में है। श्रद्धालुओं ने अपने दान से गुरु की जन्मस्थली पर भव्य मंदिर बनाया और इसे स्वर्णमंडित भी करा रहे हैं। मंदिर के गर्भगृह के प्रवेश द्वार को पिछले साल ही स्वर्ण मंडित कराया गया है। चौखट और दरवाजे पर सोने की परत चढ़ाई गई है। हर साल मंच से मंदिर को स्वर्ण मंडित कराने का आह्वान किया जाता है और संगत दिल खोलकर दान करती हैं। संगत के दान से मंदिर के स्वर्ण कोष में हर साल बढ़ोतरी होती जा रही है।
मंदिर में 130 किलो सोने की पालकी
संत रविदास मंदिर में 130 किलो सोने की पालकी रखी हुई है। पालकी को यूरोप के शिष्यों ने बनवाया था। इस पालकी को साल में एक बार जयंती के दिन ही मंदिर में निकाला जाता है। मंदिर के शिखर का कलश और छत्र तक सब कुछ सोने का है। एक भक्त ने संगत कर मंदिर में 35 किलो सोने का छत्र लगवाया था। मंदिर का निर्माण 1965 में हुआ था। यहां पहला स्वर्ण कलश 1994 में संत गरीब दास ने संगत के सहयोग से चढ़ाया था। बाद में भक्तों के सहयोग से 32 स्वर्ण कलश लगाए गए।
सोने का है 35 किलोग्राम का दीपक
मंदिर में 2012 में 35 किलो का सोने का स्वर्ण दीपक चढ़ाया गया। इसमें अखंड ज्योति जलती है। दीपक में एक बार में पांच किलो घी भरा जाता है।
आ चुके हैं अब तक वीवीआईपी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पूर्व सीएम मायावती, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कई बड़े राजनेता यहां हाजिरी लगा चुके हैं।