स्वामी चिदानंद सरस्वती ने बीकेएस अयंगर को श्रद्धांजलि देते हुए योग का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश योग की जन्मभूमि है। यह मां गंगा के दिव्य तट और हिमालय की गोद में बसा प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त शहर है। यहां पर किया गया योग न केवल शरीर बल्कि आत्मा को भी पोषण प्रदान करता है। योग का उद्देश्य केवल शारीरिक स्वास्थ्य नहीं है, बल्कि यह एक आत्मिक और मानसिक शांति का माध्यम भी है। आजकल के तनावपूर्ण जीवन में योग एक मजबूत अस्त्र है, जो हमें भीतर से सशक्त बनाता है। डाॅ. साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है, यह एक जीवन शैली है जो हमें हमारे अस्तित्व के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। योग महोत्सव में सुबह से लेकर शाम तक योग सत्रों का आयोजन किया जा रहा है। इसमें हठ योग, अष्टांग योग, कुंडलिनी योग, ध्यान और योग निद्रा जैसे अभ्यासों का समावेश है। इसके साथ ही विशेष ध्यान केंद्रित करने के लिए गंगा के किनारे पर ध्यान सत्र और प्राचीन योग शास्त्रों की व्याख्यान भी आयोजित किए जा रहे है।

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