संगम में मौन डुबकी से पहले सोमवार को आस्था का ज्वार हिलोरें मारने लगा। चाहे लाल मार्ग हो या काली मार्ग या फिर त्रिवेणी मार्ग, हर तरफ से भक्ति की लहरें उठतीं नजर आईं। रेलवे स्टेशनोक्के प्लेटफार्मों से लेकर प्रवेश द्वारों तक सिर्फ तांता लगा रहा।

संगम में मौन डुबकी से पहले सोमवार को आस्था का ज्वार हिलोरें मारने लगा। चाहे लाल मार्ग हो या काली मार्ग या फिर त्रिवेणी मार्ग, हर तरफ से भक्ति की लहरें उठतीं नजर आईं। रेलवे स्टेशनोक्के प्लेटफार्मों से लेकर प्रवेश द्वारों तक सिर्फ तांता लगा रहा। कोई 10 किमी तो कोई 15 किमी पैदल चलकर संगम पहुंचा। भीड़ इस कदर बेतहाशा बढ़ गई कि मेला प्रशासन को सभी 30 पांटून पुलों पर यातायात रोकना पड़ गया।
संगम की ओर जाने वाले सभी रास्तों पर तिल रखने की जगह नहीं बची। शहर से लेकर संगम तक सिर्फ सिर पर गठरी और हाथों में झोला, बोरा लिए आस्थावानों का रेला चल रहा है। पांटून पुलों पर खचाखच भीड़ से पैदल खिसकते हुए लोग आगे बढ़ रहे हैं। आधी रात से शाम तक तक एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का मेला प्रशासन ने दावा किया। 13 जनवरी से अब तक 13.21 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं।
मौनी अमावस्या से पहले ही महाकुंभ में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ने लगा है। शनिवार और रविवार की छुट्टी का असर सोमवार को साफ देखने को मिला। हर दिशा से श्रद्धालु संगम की ओर बढ़ रहे हैं। रेलवे स्टेशनों, बस स्टॉप और हाइवे पर श्रद्धालुओं का सैलाब देखा जा रहा है। रविवार से सोमवार तक एक करोड़ से अधिक लोगों ने संगम में स्नान किया। मौनी अमावस्या के दिन करीब 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। मेला प्रशासन और कुम्भ पुलिस की हरसंभव कोशिश है कि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।