नगर निगम प्रशासन और मेयर के बीच का शीतयुद्ध थम नहीं रहा है। इसका असर शहर की सफाई और पथ प्रकाश व्यवस्था से लेकर अन्य जनहित के कार्यों पर पड़ रहा है। प्रशासनिक अधिकार मुख्य नगर आयुक्त के अधीन हैं। मेयर प्रस्ताव बनाकर भेजती हैं। प्रस्ताव निगम कार्यालय की फाइलों से बाहर नहीं निकल पाते हैं। खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। नगर निगम की ओर से सफाई नहीं करवाने पर मेयर के पति ने बृहस्पतिवार को ज्वालापुर क्षेत्र के वार्डों में निजी खर्चे से सफाई करवाई।

निगम प्रशासन और महापौर के आपसी विवाद से शहर की सफाई व्यवस्था चौपट है। आधे शहर के वार्डों से डोर टू डोर कूड़ा उठाने का महीनों से कार्यादेश लटका है। पथ प्रकाश की व्यवस्था चरमराई है। वार्ड पार्षदों की गुहार के बाद मेयर अनीता शर्मा ने बृहस्पतिवार को नए वार्डों में एक हजार स्ट्रीट लाइटें लगाने के लिए मुख्य नगर को पत्र जारी लिखा है। पत्राचार कई बार हो चुका है। यही हाल सफाई व्यवस्था का है। सफाई नहीं होने पर मेयर प्रतिनिधि एवं पति अशोक शर्मा ने ज्वालापुर स्थित वार्डों में निजी खर्चे पर सफाई करवाई। उन्होंने कहा कि निगम अधिकारी दफ्तरों से बाहर नहीं निकलते हैं। शहर की सफाई से उनको कोई सरोकार नहीं है। कांग्रेस अनुसूचित विभाग जिलाध्यक्ष सुनील कुमार ने कहा कि भाजपा के दबाव में निगम प्रशासन मेयर के किसी भी प्रस्ताव पर अमल नहीं करता है।

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