अखंड हिंदू राष्ट्र का पहला संविधान बनकर तैयार हो चुका है। महाकुंभ में वसंत पंचमी तीन फरवरी को शुभ मुहूर्त में इसे देश की जनता के सामने रखा जाएगा। 12 महीने 12 दिन में हिंदू राष्ट्र के संविधान को उत्तर और दक्षिण भारत के 25 विद्वानों ने तैयार किया है।

Mahakumbh: Constitution of Hindu nation made in 12 months and 12 days will be revealed in Mahakumbh

अखंड हिंदू राष्ट्र का पहला संविधान बनकर तैयार हो चुका है। महाकुंभ में वसंत पंचमी तीन फरवरी को शुभ मुहूर्त में इसे देश की जनता के सामने रखा जाएगा। 12 महीने 12 दिन में हिंदू राष्ट्र के संविधान को उत्तर और दक्षिण भारत के 25 विद्वानों ने तैयार किया है। चारों पीठ के शंकराचार्य की सहमति के बाद इसको केंद्र सरकार को भी भेजा जाएगा। 501 पन्नों के संविधान को रामराज्य, श्रीकृष्ण के राज्य, मनु स्मृति और चाणक्य के अर्थशास्त्र को आधार बनाकर तैयार किया गया है।

हिंदू राष्ट्र संविधान निर्माण समिति में उत्तर भारत के 14 और दक्षिण भारत के 11 विद्वान शामिल किए गए हैं। संविधान निर्माण समिति ने धर्मशास्त्रों के साथ ही रामराज्य, श्रीकृष्ण के राज्य, मनुस्मृति और चाणक्य के अर्थशास्त्र का अध्ययन करने के बाद हिंदू राष्ट्र के संविधान को तैयार किया है। संविधान समिति में काशी हिंदू विश्वविद्यालय, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्वान भी शामिल हैं।

संविधान समिति के संरक्षक शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने बताया कि 2035 तक हिंदू राष्ट्र की घोषणा का लक्ष्य रखा गया है। हिंदू राष्ट्र के पहले संविधान के आधार पर देश गणराज्य होगा। हम वसुधैव कुटुंबकम् और सर्वेभवंतु सुखिन: को मानने वाले हैं। इन दोनों मूल्यों को संविधान के मूल में रखा गया है। चुनाव के आधार पर ही राष्ट्र के प्रमुख का चयन किया जाएगा। यह संविधान देश में रहने वाले दूसरे धर्म के अनुयायियों के खिलाफ नहीं है। यहां पर सभी को रहने का अधिकार रहेगा, लेकिन राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के खिलाफ कार्य करने वालों को सख्त दंड का विधान भी बनाया गया है। संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष डॉ. कामेश्वर उपाध्याय ने बताया कि हिंदू राष्ट्र में हर नागरिक के लिए सैनिक शिक्षा अनिवार्य होगी। हिंदू राष्ट्र में वर्तमान कर प्रणाली नहीं रहेगी और कृषि को पूर्णत: कर मुक्त कर दिया जाएगा। कर चोरी पर कठोर दंड का विधान होगा।

संविधान में हुए हैं तीन सौ बार संशोधन, धर्मशास्त्र में नहीं हुए एक भी

शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप ने कहा कि भारत के संविधान में अब तक तीन सौ बार संशोधन हो चुका है लेकिन हमारे धर्मशास्त्रों में अब तक कोई संशोधन नहीं हुए हैं। हम लोग हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए दुनिया भर के राष्ट्रों से भी अपील करेंगे कि वह इसमें सहयोग करें। दुनिया में ईसाइयों के 127, मुस्लिमाें के 57, बौद्धों के 15 देश हैं। यहां तक कि यहूदियों का भी एक देश इजरायल है। दुनिया में करीब पौने दो अरब हिंदुओं की आबादी है परंतु उसका एक भी देश नहीं है।

हिंदू राष्ट्र के संविधान का प्रारूप

संविधान के अनुसार एकसदनात्मक व्यवस्थापिका होगी और सदन का नाम संसद नहीं हिंदू धर्म संसद होगा। हर संसदीय क्षेत्र में एक धर्म सांसद निर्वाचित होगा। पूरे देश में 543 धर्म सांसद निर्वाचित होंगे। धर्मसांसद के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 और मतदान करने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 16 वर्ष निर्धारित की गई है। चुनाव लड़ने और लड़ाने का अधिकार केवल सनातन धर्म के अनुयायियों अैर भारतीय उपमहाद्वीप के पंथ जैन, बौद्ध व सिख मत के अनुयायियों का होगा।

विधर्मियों को मताधिकार से वंचित किया जाएगा। धर्मसंसद के सदस्यों को निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, सामान्य वाहन और साधारण सुरक्षा के अलावा अन्य कुछ भी नहीं दिया जाएगा। धर्मसांसद बनने के लिए उम्मीदवार को वैदिक गुरुकुल का छात्र होना अनिवार्य होगा। अयोग्य और आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति निर्वाचन में भाग नहीं लेंगे। धर्म संसद के सदस्य दो तिहाई बहुमत से राष्ट्राध्यक्ष का चयन करेंगे

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