सरकार के साथ अब आईआईटी कानपुर के अध्ययन में भी संगम पर बसे महाकुंभ को विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक समागम बताया गया है। 39 दिन में यहां 56 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगाकर आस्था-विश्वास और प्रेम की अद्भुत मिसाल पेश कर चुके हैं।

Mahakumbh becomes the world's largest human gathering, IIT Kanpur is studying crowd management

सरकार के साथ अब आईआईटी कानपुर के अध्ययन में भी संगम पर बसे महाकुंभ को विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक समागम बताया गया है। 39 दिन में यहां 56 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगाकर आस्था-विश्वास और प्रेम की अद्भुत मिसाल पेश कर चुके हैं। चीन को छोड़ दें तो इतनी किसी देश की आबादी भी नहीं है।

इन विशेषज्ञों का मानना है कि श्रद्धालु यहां आस्था की डुबकी लगाने के साथ ही संतों, नागा संन्यासियों का आशीर्वाद लेने और जीवन की संकल्पित आध्यात्मिक तीर्थ यात्रा पूरी करने के लिए यहां सपरिवार पहुंच रहे हैं। यह समागम अविस्मरणीय अनुभव देने वाला बन गया है।

इस जनज्वार के उमड़ने की खास वजह विशेष योग की चर्चा तो है ही, सुरक्षा, स्वच्छता, यातायात प्रबंधन और विश्व स्तरीय डिजिटल सुविधाओं के कारण भी दुनिया भर से लोग महाकुंभ की अनुभूति करने आ रहे हैं।

आईआईटी के अध्ययन के मुताबिक, यह महाकुंभ श्रद्धा, भक्ति और अनुशासन की सीख भी दे रहा है। 56 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इसे मानव इतिहास का सबसे बड़ा धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजन बना दिया है।

विशेष स्नान पर्वों में सबसे अधिक आठ करोड़ श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया था। मकर संक्रांति पर 3.5 करोड़ वसंत पंचमी पर 2.57 करोड़ और माघी पूर्णिमा के दिन भी दो करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया था।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बंगलूरू के एक अध्ययन के अनुसार करीब दो दशक पहले 2001 में प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले में पांच करोड़ संत-भक्त शामिल हुए थे। यह संख्या 2013 में बढ़कर 12 करोड़ हो गई थी।

पिछले तीन कुंभ मेलों का क्षेत्रफल (हेक्टेयर में)

2025 -4,000

2001 -1,495

2013 -1,537

इतिहास में इतने बड़े मानव समागम का विश्व भर में कहीं कोई रिकॉर्ड नहीं है। सौ वर्षों के महाकुंभ और ऐसे तमाम बड़े वैश्विक आयोजनों की तुलना में भी यह सबसे बड़ा है। महाकुंभ के बाद मानव समागम और भीड़ प्रबंधन से जुड़ी यह रिपोर्ट शासन को देंगे। 

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