एक लंबा कालखंड रहा, जब भारत का आध्यात्म और यहां की अर्थव्यवस्था दुनिया को रास्ता दिखाते थे। सबसे बड़ा कारण यह था कि हम अपने आत्म विश्वास के साथ काम करते थे। तकनीकी के मामले में हम सारी दुनिया से सदियों सदियों से आगे थे। भारत का बना हुआ माल कपड़ा, मसाले, चीनी, हीरे जवाहरात और भी बहुत सी चीजें पूरी दुनिया में बिका करते थे।

महाकुंभ प्रयागराज में दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार की ओर से भारत की गौरव गाथा बनाम आत्महीनता की भावना विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। अध्यक्षता कर रहे यूपी के मंत्री असीम अरुण ने कहा कि हम अपनी गौरव गाथा पर विश्वास रखें और आत्म विश्वास के साथ आगे बढ़ें। हमारी आत्महीनता की भावना हमें पीछे की ओर धकेलती है। एक लंबा कालखंड रहा, जब भारत का आध्यात्म और यहां की अर्थव्यवस्था दुनिया को रास्ता दिखाते थे। सबसे बड़ा कारण यह था कि हम अपने आत्म विश्वास के साथ काम करते थे। तकनीकी के मामले में हम सारी दुनिया से सदियों सदियों से आगे थे। भारत का बना हुआ माल कपड़ा, मसाले, चीनी, हीरे जवाहरात और भी बहुत सी चीजें पूरी दुनिया में बिका करते थे।
यूरोप में हमारे व्यापारी और मध्य एशिया के व्यापारी कारवां बनाकर आते थे और ट्रेड सरप्लस हमारे पक्ष में था। हमको सोने की चिड़िया सदियों सदियों कहा गया। हम कैसे पीछे छूट गए, इस पर भी बहुत सारे अध्ययन हुए हैं। जब मुस्लिम आक्रांताओं ने हम पर हमला करना शुरू किया, हमको दासता की ओर ले जाना शुरू किया, तो एक मनो वैज्ञानिक दवाब हमारे ऊपर आया और गुलामी की स्थिति बनी। वह चाहे सत्ता की हो, या किसी अन्य प्रकार की हो, वह व्यक्ति को नवाचार से रोकती है।
कुंभ की यह धरा सज्जन, संत और ऋषियों की धरा
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में अपना संबोधन देते हुए निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि दुनिया के सभी लोग भारत की परंपराओं को मानना, समझना और जानना चाहते हैं। कुंभ की यह धरा सज्जन, संत और ऋषियों की धरा है। यहां जितनी सेवा हमसे बन पाए, हम करें। दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ आशीष गौतम भैया जी ने कार्यक्रम में स्वागत भाषण दिया।