काशी में नागा साधुओं का आगमन शुरू हो गया है। अखाड़ा से जुड़े लोग उनका स्वागत-सत्कार भी करने लगे हैं। गंगा किनारे शिविर लगाकर वे जप-तप में लीन हो गए हैं।

naga sadhu reached in kashi from mahakumbh meditation on banks of Ganga Amrit bath till Mahashivratri

महाकुंभ से अब काशी में नागा साधुओं का जुटान होने लगा है। सनातन परंपरा के तेरह अखाड़ों में करीब छह अखाड़े के संन्यासियों का भी काशी आगमन शुरू हो गया है। यहां गंगा किनारे मिनी कुंभ की झलक दिखने लगी है। गंगा के प्रमुख घाटों पर टेंट लग रहे हैं। कुछ बंनकर तैयार हो गए हैं। सात्विक भोजन बनाकर नागा साधु अपनी भक्ति में लीन हैं।

महाकुंभ में अब तक तीन अमृत स्नान पूरे हो गए हैं जिनमें मकर संक्रांति, माैनी अमावस्या और वसंत पंचमी थे। प्रयागनगरी के त्रिवेणी तट से साधु-संन्यासियों के शिविर खुलने शुरू हो गए हैं, अब उनका समूह काशी की ओर अग्रसर हो चला है। विभिन्न अखाड़ों और संप्रदाय के नागा साधु गंगा की रेती पर भी अपने टेंट बनाते हैं।

नागा साधुओं के दर्शन-पूजन के लिए दक्षिण और आसपास के भक्त भी आने लगे हैं। घाटों पर सैर-सपाटा करने वाले पर्यटक भी इनका आशीर्वाद ले रहे हैं। शरीर में भभूत लगाकर साधना में लीन नागा साधुओं से विदेशी पर्यटक भी काफी आकर्षित होते हैं। इनके साथ शिविर में समय भी व्यतीत करते हैं।

चार पीठ और तेरह अखाड़े
आदि शंकराचार्य द्वारा धर्म रक्षा के लिए चार पीठों की स्थापना की थी। वे चारों स्थान ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम (विद्यामठ), श्रृंगेरी पीठ (लहुराबीर), द्वारिका शारदा पीठ (विद्यामठ) और पुरी गोवर्धन (अस्सी) पीठ हैं। 13 अखाड़ों में नागा साधुओं के सबसे बड़े अखाड़ों में शामिल श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा सहित चार प्रमुख शैव संन्यासी अखाड़ों का मुख्यालय धर्म और संस्कृति की नगरी काशी में ही है।

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