अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने बुधवार को कहा कि महाकुंभ में सभी धर्म के लोगों का स्वागत किया जाएगा, लेकिन सनातन का मजाक उड़ाने या अपमानित करने की छूट किसी को नहीं दी जाएगी।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने बुधवार को कहा कि महाकुंभ में सभी धर्म के लोगों का स्वागत किया जाएगा, लेकिन सनातन का मजाक उड़ाने या अपमानित करने की छूट किसी को नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि संगम की रेती पर शिविरों की बसावट से लेकर अन्य निर्माणों में मुस्लिम समुदाय के लोगों को लगाए जाने पर मुझे कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते वह लोग सनातनियों का धर्म नष्ट न करें। निरंजनी अखाड़े की छावनी में बने चेहरा-मोहड़ा पर पत्रकारों से बातचीत में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि गुलामी के प्रतीक के तौर पर महाकुंभ में पेशवाई और शाही स्नान दोनों नामों को सभी 13 अखाड़ों की सहमति से बदल दिया गया है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों को इसका बाकायदे नोटिफिकेशन जारी करना चाहिए, ताकि महाकुंभ और कुंभ के रिकॉर्ड में गुलामी के प्रतीक नामों को हमेशा के लिए मिटाया जा सके। शाही स्नान शब्द को लेकर एतराज किए जाने की वजह पूछने पर उनका कहना था कि हमारी सनातन परंपरा और संस्कृति में जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, वह हमारी भारतीय संस्कृति से जुड़ा है। उर्दू और हिंदी दोनों भाषाओं का आपस में संबंध है, लेकिन जब धर्म, परंपरा और संस्कृति की बात आती है तो हमारा प्रयास हमेशा संस्कृत या हिंदी में शब्दों का प्रयोग करने का रहता है। इसीलिए हमने महाकुंभ की परंपरा में होने वाले इस स्नान का नाम राजसी स्नान दिया है।