मंगलग्रह का जन्म स्थान कहे जाने वाले भगवान श्री मंगलनाथ के मंदिर पर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही साथ भात पूजन एवं अन्य पूजन कराने हेतु आने वाले यजमानों की भीड़ सुबह 7 बजे प्रातः कालीन आरती पश्चात से भातपूजन प्रारंभ होकर निर्धारित समय 3.30 बजे तक सतत रूप से चलती रही। मंदिर पर आने वाले यजमानों के द्वारा भात पूजन के साथ ही साथ कालसर्प दोष, अंगारक दोष, श्रापित दोष, गुरु चांडाल दोष, कुंभ विवाह, अर्क विवाह आदि पूजन मंदिर के विद्ववान पंडितों/आचार्य गाणों के द्वारा संपूर्ण विधान के साथ संपन्न कराई गई।
यह जानकारी देते हुए मंदिर के प्रशासक के के पाठक ने बताया कि आज भात पूजन एवं अन्य पूजनों की 1830 कंप्यूट्रीकृत/मेन्यूअल शासकीय रसीदें बनाई गईं, जोकि पिछले कई समय का रिकार्ड है। इन रसीदों से मंदिर समिति को राशि रुपये 3,84,,850 की आय मंदिर समिति को प्राप्त हुई। इसके साथ ही प्रशासक द्वारा यह भी बताया गया कि मंदिर पर आने वाले श्रद्धालु/दर्शनार्थियों को कतारबद्ध एवं सुगमतापूर्वक तथा व्यवस्थित तरीके से दर्शन कराए गए।
मंदिर पर आने वाले दिव्यांग एवं असहाय दर्शनार्थियों को व्हीलचेयर पर ले जाकर मंदिर के कर्मचारियों के द्वारा गर्भगृह के सामने से दर्शन कराए गए, जिससे आने वाले दर्शनार्थी तथा श्रद्धालुगण मंदिर से अभिभूत होकर अपने गंतव्य स्थान की ओर निकले। इसके अतिरिक्त जो दर्शनार्थी कतार में खड़े नहीं हो सकते थे तथा जिन्हें अन्य मंदिरों पर अथवा जाने की जल्दी रहती थी, ऐसे दर्शनार्थियों/यजमानों को मंदिर प्रशासन की ओर से की गई व्यवस्था के अनुरूप प्रति व्यक्ति राशी रुपये 100/- शासकीय रसीद बनाई जाकर व्यवस्थित एवं शीघ्र दर्शन हेतु गर्भग्रह के सामने से उन्हें भगवान मंगलनाथ के दर्शन करवाए गए की करवाए गए।