भू कानून समिति के अध्यक्ष ने कहा ने कहा कि उद्योगों के नाम पर ली गई जमीन की जांच के लिए टास्क फोर्स बने। सुभाष कुमार ने अमर उजाला से खास बातचीत में कहा कि समिति अपनी सिफारिशों में तीन बातों का खास ख्याल रखेगी। इनमें पहला ऐसी कोई नीति न बने जिससे राज्य में निवेश ही बाधित हो जाए।
समिति के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने अमर उजाला से खास बातचीत में कहा कि समिति अपनी सिफारिशों में तीन बातों का खास ख्याल रखेगी। इनमें पहला ऐसी कोई नीति न बने जिससे राज्य में निवेश ही बाधित हो जाए। दूसरा, निवेश व अन्य प्रायोजनों के नाम पर खरीदी गई भूमि का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और तीसरा, उत्तराखंड का नागरिक भूमिहीन न हो।
समिति हिमाचल की तर्ज पर भू कानून में यह प्रावधान करने की सिफारिश करेगी कि, किसी उद्योग व प्रायोजन के लिए कितनी भूमि की जरुरत होगी, यह तय करने का अधिकार विभागों को मिले। भूमि के उपयोग की समय सीमा भी तय होनी चाहिए। इस सीमा में अगर क्रेता कोई उद्योग नहीं लगाता तो सरकार वह जमीन वापस ले लेगी।
देहरादून, नैनीताल समेत सात जिलों से समिति को जो सूचनाएं प्राप्त हुईं, वे भूमि के दुरुपयोग की तस्दीक कर रही हैं। कुमाऊं मंडल के पांचों जिलों में 20 से 30 प्रतिशत मामलों में या तो भूखंड लेने के बाद उन्हें खाली रखा गया या फिर जिस प्रयोजन से जमीन खरीदी गई, वहां दूसरे काम किये गए। उद्योग लगाने के लिए मिली जमीन पर आवासीय प्लाटिंग कर बेच दिया गया। समिति का मानना है कि भूमि के दुरुपयोग का यह मामला और बड़ा हो सकता है।