दोपहर एक बजे से गरुड़ छाड़ का आयोजन शुरू हुआ। छावनी बाजार से नृसिंह मंदिर तक रस्सी के सहारे लकड़ी से बने गरुड़ की प्रतिमा को छोड़ा गया। उसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को उसी रस्सी के सहारे आगे भेजा गया।

मान्यता है कि गरुड़ छाड़ मेले के बाद भगवान विष्णु अपने वाहन गरुड़ में बैठकर बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करते हैं। इस दौरान देव पुजाई समिति के अध्यक्ष अनिल नंबूरी, बदरीनाथ धाम के रावल अमरनाथ नंबूरी, बदरीनाथ के धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, नगर पालिका अध्यक्ष देवेश्वरी शाह, दीपक शाह, सतीश भट्ट, उमेश सती सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

ज्योतिर्मठ। बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने की प्रक्रिया के तहत शुक्रवार को ज्योतिर्मठ नृसिंह मंदिर से आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा के साथ रावल (बदरीनाथ के मुख्य पुजारी), धर्माधिकारी और वेदपाठी योग बदरी पांडुकेश्वर के लिए रवाना होंगे। तीन मई को पांडुकेश्वर से कुबेर और उद्धव की उत्सव डोली के साथ सभी देव डोलियां बदरीनाथ धाम के लिए रवाना होंगी और चार मई को प्रात: छह बजे बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। 




नृसिंह मंदिर परिसर से आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी के साथ गरुड़ भगवान की मूर्ति भी उत्सव डोली से बदरीनाथ धाम के लिए रवाना होगी। बीते दिनों देव पुजारी समिति और रेक्वाल समिति की ओर से बीकेटीसी के अधिकारियों से गरुड़ भगवान की मूर्ति को भी उत्सव डोली से बदरीनाथ के लिए रवाना करवाने की मांग की गई थी। इस पर बीकेटीसी ने सहमति जता दी है। बृहस्पतिवार को गरुड़ जी की मूर्ति को विधि-विधान से नृसिंह मंदिर में विराजमान कर दिया गया है। अभी तक गरुड़ की मूर्ति को बदरीनाथ के खजाने के साथ धाम तक ले जाया जाता था। अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें

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