श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में भगवान कार्तिकेय जयंती और गुरु छठ पर्व धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। अखाड़े के संतों ने सर्वप्रथम भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना कर आरती उतारी। इसके बाद गंगोत्री से लाए गए गंगाजल की पूजाकर जयकारों के साथ गंगाजल कलश को पशुपतिनाथ मंदिर के लिए रवाना किया गया।
इस दौरान अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (निरंजनी) के अध्यक्ष श्रीमहंत रविद्र पुरी महाराज ने कहा कि तीनों लोकों में हाहाकार मचा रहे तारकासुर के संहार के लिए जन्मे भगवान कार्तिकेय निरंजनी अखाड़े के आराध्य हैं। भगवान शिव व माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर संसार को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। उन्होंने सभी को छठ पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भगवान सूर्य की आराधना को समर्पित छठ पर्व पर पूर्वांचल के लोग गंगा तटों पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर अपने परिवारों की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। सच्चे मन से की गई प्रार्थनाओं का अवश्य ही पुण्य फल प्राप्त होता है। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा कि भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं। बलवान एवं रक्षक कार्तिकेय स्वामी पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के आराध्य और निरंजन स्वामी हैं। इनकी उपासना बड़े ही सरल एवं शांत ढंग से की जाती है। श्रीमहंत रामरतन गिरि व श्रीमहंत दिनेश गिरि ने कहा कि भगवान कार्तिकेय समस्त जगत के तारणहार हैं। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख पद्म सिंह, आचार्य गौरी शंकर दास, रावल शिव प्रकाश महाराज, महामंडलेश्वर यतिद्रानंद गिरि, महामंडलेश्वर ललितानंद गिरि, महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद, श्रीमहंत महेश पुरी, श्रीमहंत राधे गिरि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।