पानीपत। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा कटारिया लैंड नजदीक नवांकोट गुरुद्वारा सेक्टर-12 में श्रीमद्भागवत महापुराण साप्ताहिक कथा ज्ञानयज्ञ का भव्य आयोजन किया गया। इस दौरान साध्वी ने ब्रह्मज्ञान का महात्म्य बताते हुए कहा कि ब्रह्मज्ञान ही मानसिक व्याधियों से बचा सकता है। इस दौरान राजकुमार, हैप्पी तनेजा, संजीव कुमार व राघवेंद्र यजमान रहे। समाजसेवी हरिओम तायल और श्री गोशाला सोसायटी के प्रधान रामनिवास गुप्ता ने दीप प्रज्ज्वलित कर श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया। आशुतोष महाराज की शिष्या भागवत भास्कर साध्वी वैष्णवी भारती ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा में ज्ञान, विज्ञान व भक्ति सब शामिल हैं। यह भारतीय साहित्य का अपूर्व ग्रंथ है। इसके भक्ति रस में भक्ति रूपी मणि-माणिक्यों की प्राप्ति हो जाती है। उन्होंने बताया कि भागवत महापुराण की कथा समाज के प्रत्येक व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। दुर्योधन ने पांडवों का अधिकार वापस देने से इनकार कर दिया। कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन परिजनों को सामने देख कर मोह ग्रस्त हो गए। रण करने से पूर्व ही शस्त्र का परित्याग कर दिया। श्रीकृष्ण ने उनको अपने सामर्थ्य और बल से परिचित कराया। विराट रूप का दर्शन कराकर आत्मज्ञान से सराबोर किया। भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य, महारथी कर्ण सभी मिलकर भी दुर्योधन को बचा नहीं सके। उधर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को विजयी बना दिया। भगवान ने महाभारत में समझाया कि शस्त्र बल से श्रेष्ठ आत्मबल है। हम जीवन युद्ध में अर्जुन की तरह हताश हो जाते हैं। ऐसे में भौतिक संसाधन नहीं अपितु ब्रह्मज्ञान ही मात्र इन मानसिक व्याधियों से बचा सकता है।