बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का सुप्रीम कोर्ट ने रास्ता साफ कर दिया है। इस फैसले के बाद अब चर्चा ये शुरू हो गई है कि इससे श्रद्धालुओं को तो फायदा होगा, लेकिन शहर को क्या मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि कॉरीडोर बनने के बाद शहर के पर्यटन उद्योग को पंख लगने की पूरी उम्मीद है। जिस तरह काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से वहां श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हुआ, वैसा ही कुछ यहां भी होगा।

बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनने के बाद मथुरा-वृंदावन आने वाले श्रद्धालुओं को संख्या में इजाफा होगा। इससे पर्यटन हब के रूप में विकसित करने का भी रास्ता सुगम होगा। वर्तमान स्थिति के सापेक्ष दोगुनी संख्या में श्रद्धालु आएंगे। कॉरिडोर निर्माण के बाद किसी भी श्रद्धालुओं को असुविधा नहीं होगी। आसानी से आराध्य के दर्शन कर सकेगा।
स्थानीय प्रशासन और कारोबारियों का मानना है कि जैसे-जैसे सुविधाओं में विस्तार होता है। लोगों का रुझान उन स्थानों के प्रति बढ़ता है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर इसका ताजा उदाहरण है। वहां अब दोगुनी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। श्रीबांके बिहारी की धूम विदेशों में भी है। काशी नरेश से ज्यादा वृंदावन के बांके के भक्त दुनिया में हैं।
यह दावा पर्यटन विभाग के आंकड़े बताते हैं। विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में मथुरा जिले में करीब 21.96 करोड़ श्रद्धालुओं आए हैं। इसमें सबसे अधिक 2.55 करोड़ श्रद्धालु वृंदावन में श्रीबांकेबिहारी के दर्शन के लिए पहुंचे हैं। इसमें 70 हजार विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में आगरा के बाद सबसे अधिक विदेशी मथुरा में आते हैं। ब्रज में आने वाले भारतीय और विदेशी श्रद्धालुओं के लिए वृंदावन के श्री बांके बिहारी सबसे प्रमुख हैं। इसके अलावा गोवर्धन, कुसुम सरोवर, राधाकुंड, गोकुल, बरसाना, नंदगांव, महावन भी शामिल हैं।