पौष पूर्णिमा पर मां विंध्यवासिनी के सामने शीश झुकाकर देवी भक्तों ने की सुख समृद्धि की कामना की। श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में विराजमान अन्य देवी, देवताओं के साथ मां काली और अष्टभुजा देवी का दर्शन किया।

पौष पूर्णिमा तिथि पर सोमवार को गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के साथ महाकुंभ मेले का आगाज शुरू हो गया। इधर, मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन के लिए दिनभर भक्तजनों का तांता लगा रहा।
भोर से ही गंगा घाटों की ओर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू रहा। गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के बाद हाथ में नारियल, चुनरी व माता का प्रसाद लिए भक्तजन मां विंध्वासिनी की एक झलक पाने के लिए मंदिर की ओर जाने वाली कतार में लगे रहे। मंदिर की ओर से जाने वाली गलियां माता के जयकारे से गूंजती रही। किसी ने गर्भगृह तो किसी ने झांकी से ही मां विंध्यवासिनी के आगे शीश झुकाकर सुख और समृद्धि की कामना की। मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में विराजमान मां काली, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, मां दुर्गा, राधा कृष्ण, श्री पंचमुखी महादेव, दक्षिणमुखी हनुमान, एवं बटुक भैरव के मंदिर में जाकर दर्शन-पूजन किया। पौष पूर्णिमा पर अष्टभुजा पहाड़ पर विराजमान महाकाली व अष्टभुजी देवी मंदिर में भी भक्तों की भीड़ रही। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।