अयोध्या। रामनगरी की पहचान धार्मिक एवं आध्यात्मिक नगरी के रूप में है पर विकास के मामले में अयोध्या आज भी पीछे है। सच्चाई यह है कि यहां की अर्थव्यवस्था आज भी भक्तों, श्रद्धालुओं पर ही आश्रित है।

ऐसे में कोरोना काल में भक्तों पर आश्रित रामनगरी की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बिखर गई। दो माह तक अयोध्या के मठ-मंदिरों से लेकर घाटों पर सन्नाटा पसरा रहा जिसके चलते एक बड़ी आबादी प्रभावित हुई।

हालांकि लॉकडाउन खुलने के बाद अब रामनगरी की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट चुकी है। प्रतिदिन हजारों भक्त अयोध्या आ रहे हैं। मठ-मंदिर से लेकर सरयू घाटों की भी रौनक लौट आई है।
कोरोना काल में श्रद्धालुओं से विहीन रहने वाली रामनगरी अब अपने रौ में लौटने लगी है। दो साल से अयोध्या में कोरोना के कारण रामनवमी मेला नहीं हो सका। जिसके चलते अयोध्या के निवासियों के समक्ष आजीविका का संकट खड़ा हो गया था।
एक मेला हो जाने से बड़ी संख्या में लोगों के छह माह के रोजी-रोटी की व्यवस्था हो जाती थी। बड़ी संख्या में लोगों की आए मेलों पर ही निर्भर रहती है। एक जून से लॉकडाउन खुलने के करीब एक पखवारे बाद अब रामनगरी में भक्तों का आवागमन बढ़ा है।
ज्येष्ठ मास के दूसरे मंगलवार 8 जून को रामनगरी में लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ी। इसके बाद प्रत्येक जेठ माह के मंगल को 50 हजार से अधिक भक्तों ने अयोध्या पहुंचकर दर्शन-पूजन किया।
रामनगरी के मठ-मंदिर से लेकर सरयू घाटों की रौनक लौट आई है। इससे न सिर्फ रामनगरी का कारोबार बढ़ा है, बल्कि पर्यटन का भी माहौल बन रहा है। रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है।
प्रतिदिन करीब तीन से पांच हजार भक्त रामलला के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ी है। बाहरी भक्त अब आ रहे हैं।
रामनगरी के सरयू तट पर बुधवार को भक्तों की भीड़ दिखी। नाविक अन्नू मांझी के चेहरे पर खुशी दिखी बोले कि अब कमाई ठीक हो रही है। बाहरी भक्त आ रहे हैं, घाटों की उदासी दूर होने के साथ-साथ हमारी आजीविका पर चल निकली है।
भगवान अयोध्या को संकटों से मुक्त रखे यही कामना है। कोरोना महामारी के चलते घोषित लॉकडाउन के कारण रामनगरी की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह चौपट हो गई थी। हालांकि अब अयोध्या एक बार फिर भक्तों से गुलजार होने लगी है।
व्यापारी सत्येंद्र पांडेय कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया था। एक जून से लॉकडाउन खुलने के बाद अब व्यापार अच्छी स्थिति में आ रहा है। बाहरी श्रद्धालुओं के आने से अयोध्या की रौनक भी लौटी है।
व्यवसायी शक्ति जायसवाल कहते हैं कि कोरोना ने तो फाकाकशी की नौबत ला दी थी, ऊपर से महंगाई का चरम, जीवन यापन कठिन होने लगा था, लेकिन अब धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति सुधरने लगी है।
हनुमानगढ़ी पर प्रसाद की दुकान करने वाले विकास गुप्ता ने कहा कि कोरोना के चलते पिछले दो महीने में काफी नुकसान झेलना पड़ा, लेकिन अब स्थिति ठीक है, अयोध्या की अर्थव्यवस्था भी पटरी पर आ गई है। कहा कि फिर भी हमें लापरवाही बरतने से बचना होगा।

 

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