कांवड़ यात्रा शुरू होने के साथ नीलकंठ पैदल मार्ग पर वन विभाग की अनुमित के बिना सैकड़ों अस्थायी दुकानें सज गई है। अवैध दुकानों के चलते पैदल मार्ग और संकरा हो गया है, जिससे कांवड़ियों को आवागमन में परेशानी हो रही है। दुकानदार खाद्य पदार्थों के अवशेष को पैदल मार्ग पर डालकर रहे है, जिससे जंगली जानवरों के पैदल मार्ग पर आने की आशंका बनी हुई है।

करीब एक दशक पहले राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में कांवड़ यात्रा के दौरान पैदल मार्ग पर संचालित अस्थायी दुकानों का ठेका होता था। वन विभाग की ओर से इसकी बाकायदा टेंडर प्रक्रिया होती थी। दुकान के हिसाब से ठेकेदार शुल्क का मानक तय करते थे।

वर्ष 2013 दैवीय आपदा के बाद से वन विभाग ने टेंडर प्रतिक्रिया करना ही बंद कर दिया है। करीब सात वर्ष पहले टाइगर जोन बनने के बाद कांवड़ यात्रा के दौरान नीलकंठ पैदल मार्ग पर दुकानों के संचालन पर पूरी तरह प्रतिबंध लग गया।
बावजूद इसके अवैध रूप से अस्थायी दुकानें लगाई जाती है। सूत्रों के मुताबिक इसमें वन विभाग के कर्मचारियों और दुकानदारों की मिलीभगत होती है। मौजूदा समय पर नीलकंठ पैदल मार्ग पर सैकड़ों दुकानें सजी हुई हैं।
कांवड़ पैदल मार्ग पहले से काफी तंग है, अब दोनों ओर दुकानें खुलने के कारण लोगों का रास्ते पर चलना मुश्किल हो गया है। पैदल मार्ग जंगल के बीच होकर निकलता है। दुकानदार खाद्य पदार्थों अवशेष को पैदल मार्ग के किनारे ही फेंक देते हैं। खाद्य पदार्थों की गंध से जंगली जानवर पैदल मार्ग पर आने से दुर्घटना का खतरा बना हुआ है।

नीलकंठ पैदल मार्ग पर दुकानों के संचालन की अनुमति नहीं है। यहां संचालित दुकानों को वन विभाग की ओर से जल्द हटाया जाएगा।
मदन सिंह रावत, गौहरी रेंज अधिकारी

By Tarun

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand