सात साल बाद इस बार पंच योग और स्वाति नक्षत्र में लोग निर्जला व्रत रखेंगे, जो काफी फलदायी होगा। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है।
आचार्य सुशांत राज ने बताया कि पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून की सुबह चार बजकर 43 मिनट से 18 जून को सुबह छह बजकर 24 मिनट तक रहेगी। 18 जून को निर्जला एकादशी का उपवास रखा जाएगा। इस दौरान खास संयोग बन रहा है। श्रद्धालु इस बार स्वाति नक्षत्र में निर्जला एकादशी का व्रत करेंगे। इससे यह व्रत काफी फलदायी होगा। उन्होंने बताया कि एकादशियों में श्रेष्ठ निर्जला एकादशी व्रत 18 जून को रखा जाएगा। सात साल बाद इस बार पंच योग और स्वाति नक्षत्र में लोग निर्जला व्रत रखेंगे, जो काफी फलदायी होगा। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। व्रती भगवान श्रीहरि विष्णु का पूजन करेंगे। हिंदू पंचांगों में अलग-अलग नामों से कुल 24 एकादशी पर लोग व्रत और भगवान विष्णु का पूजन-अर्चन करते हैं। इन 24 एकादशियों में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी सबसे श्रेष्ठ होती है। इसे भीमसेनी, पांडव एकादशी भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से सालभर की एकादशियों के व्रत का फल मिल जाता है। इस बार स्वाति नक्षत्र और जपयोग, त्रिपुष्कर, रवि, शिव, ध्वज योग बन रहा है।