हरिद्वार। मंगलवार से पितृपक्ष की शुरूआत हो गई। पहले दिन बड़ी संख्या में पौराणिक नारायणी शिला मंदिर में पित्रों का तर्पण करने लोग पहुंचे। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में 16 दिन तक पितृ पृथ्वी पर रहते हैं। शास्त्रों में पितृ शांति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध कर्म करना आवश्यक बताया गया है। पितृ पक्ष के पहले दिन दूर दराज से श्रद्धालु धर्मनगरी हरिद्वार में स्थित पौराणिक नारायणी शिला मंदिर में अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किए। यह सिलसिला पितृ अमावस्या तक निरंतर चलेगा। नारायणी शिला मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया कि श्राद्ध करने से व्यक्ति के सौ पितृ कुल के मोक्ष की प्राप्ति होती है। मंदिर में 16 दिन तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में पिंडदान, तर्पण, नारायण बली, गौदान और ब्राह्मण भोज जैसे कर्म किए जाते हैं। नारायणी शिला मंदिर में श्राद्ध कर्म करने से समस्त पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। घर में सुख शांति का वास होता है। पितरों की कृपा से पुत्र प्राप्ति और विवाह तथा अन्य कार्यो में आ रही बाधा भी दूर होती है।

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