जगजीतपुर की कश्यप कॉलोनी में महर्षि कश्यप की जयंती धूमधाम से मनाई गई। महर्षि कश्यप के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित कर आशीर्वाद लिया। महर्षि कश्यप से प्रेरणा लेकर उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने की शपथ लेकर समाज के उत्थान के लिए शिक्षा के प्रति जागरूक व एकजुट रहने का आह्वान किया। मुख्य अतिथि स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा कि महर्षि कश्यप सोने के समान तेजवान थे। महर्षि कश्यप ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते थे। सुर-असुरों के मूल पुरुष मुनिराज कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहां वे पर-ब्रह्म परमात्मा के ध्यान में मग्न रहते थे। उन्होंने कहा कि मुनिराज कश्यप नीति प्रिय थे और वे स्वयं भी धर्म-नीति के अनुसार चलते थे। दूसरों को भी इसी नीति का पालन करने का उपदेश देते थे। उन्होंने अधर्म का पक्ष कभी नहीं लिया, चाहे इसमें उनके पुत्र ही क्यों न शामिल हों। महर्षि कश्यप राग-द्वेष रहित, परोपकारी, चरित्रवान और प्रजापालक थे।

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