धर्म नगरी में संतों ने दशमी पर शस्त्र पूजन किया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिसर महानिर्वाणी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत अरविंद पुरी महाराज ने कहा कि संतों को शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र रखने की भी आवश्यकता है। इसकी बाकायदा ट्रेनिंग होनी चाहिए। तभी कोई शस्त्र रखने का अधिकारी हो सकता है। उन्हें शस्त्र पूजन के विधान के बारे में भी बताया गया। दशहरे के अवसर पर कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में शस्त्र पूजन किया गया। महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी के नेतृत्व में अखाड़े के संतों ने सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश नामक भालों व अन्य शस्त्रों की पूर्ण विधि विधान से पूजा अर्चना की और धर्म रक्षा का संकल्प दोहराया। इस अवसर पर श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने बताया कि आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापित दशनामी सन्यास परंपरा के नागा सन्यासी दशहरें पर अखाड़ों में शस्त्र पूजन करते हैं। उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा में शास्त्रों के साथ शस्त्र पूजन का भी विधान है। अखाड़ों की परंपरा में शस्त्र पूजन का विशेष महत्व है।

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