प्रसिद्ध रामकथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि धर्म की जब-जब हानि होती है, भगवान राम मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं। गीता में भगवान के अवतरण लेने का कारण धर्म, ग्लानि और धर्म को स्थापित करना है। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने बताया है कि भगवान राम का अवतार धर्म की हानि और सज्जन, गो, साधू-संत आदि की पीड़ा हरने वाला है। मुनि की रेती स्थित श्री पूर्णानंद खेल मैदान में आयोजित श्रीराम कथा में मोरारी बापू ने कहा कि राम कथा को सुनने और कहने का सभी को अधिकार है। शबरी हो, कालनेमि हो, अहिल्या, मंदोदरी, गार्गी हो या तुलसी कालीन पिंगला सबको राम पर समान अधिकार है। कहा, विष्णु घराने की सनातनी दृष्टि से ब्रह्म विचार के तीन आयाम है, पहला केवल ब्रह्म विचार, दूसरा वेद, विभिन्न ग्रंथों के आधार पर और तीसरा एकांत में शांत चित्त होकर उसका पालन करना है। उन्होंने महात्मा को ब्रह्म, बुद्धात्मा को पारब्रह्म और राम, कृष्ण, शिव को प्राप्त पारब्रह्म कहा। बापू ने वेदांत रत्नाकर से मिले अमृत को श्रोताओं को रसपान कराते हुए कहा कि वेद प्याऊ के समान है। श्रुतियों का सेवन करते हुए एकांत धारण करते हैं, शांत चित्त होकर उसे पचा जाओ, यह ध्यान की अवस्था है। बापू ने रामकथा में राम जन्म की सबको हार्दिक बधाई देते हुए कथा को विश्राम दिया।

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