इस बार धनतेरस पर पहली बार मां अन्नपूर्णा के तीन स्वरूपों के दर्शन होंगे। खास बात ये है कि 48 साल बाद मंडलाभिषेक के साथ माता का विग्रह विराजमान हुआ है।

काशी पुराधीश्वरी माता अन्नपूर्णा पहली बार भक्तों को अपने तीन-तीन स्वरूपों के दर्शन देंगी। धनतेरस पर देश और दुनिया के श्रद्धालु माता के तीन विग्रहों का दर्शन पूजन करेंगे। स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के साथ ही मूल विग्रह और प्राचीन विग्रह के दर्शन श्रद्धालुओं को मिलेंगे। इसकी तैयारियां चल रही हैं। मंदिर के इतिहास में पहला मौका होगा जब श्रद्धालु एक साथ मां अन्नपूर्णा के तीन-तीन विग्रहों के दर्शन होंगे।
माता अन्नपूर्णा के मंडलाभिषेक के बाद गर्भगृह में मां अन्नपूर्णा का नवीन विग्रह स्थापित किया गया है। इसके साथ ही मंदिर के प्राचीन विग्रह को मंदिर में सुरक्षित रखा गया है। माता के दूसरे विग्रह को जल्द ही मंदिर में ही स्थापित कराया जाएगा। मंदिर की परंपरा के अनुसार मंडलाभिषेक के बाद माता का नया विग्रह स्थापित किया गया। फरवरी महीने में 48 दिवसीय कुंभाभिषेक आरंभ हुआ था।
शृंगेरी के शंकराचार्य स्वामी विधुशेखर भारती महाराज ने माता का कुंभाभिषेक किया था। 26 मार्च को मां अन्नपूर्णा देवी प्रतिष्ठा मंडलाभिषेक के अनुष्ठान पूर्ण हो चुके हैं। मंदिर के गर्भगृह में माता का नवीन विग्रह विराजमान कराया गया है। वहीं प्राचीन विग्रह को मंदिर में ही सुरक्षित रखा गया है। इसको जल्द ही मंदिर में विराजमान कराया जाएगा, जिससे श्रद्धालु आसानी से दर्शन पूजन कर सकेंगे।
मंदिर के महंत शंकर पुरी महाराज ने बताया कि मां अन्नपूर्णा के मंदिर में 48 सालों के बाद नवीन विग्रह स्थापित किया गया है। इसके लिए 48 दिनों का अनुष्ठान भी पूर्ण हाे चुका है। माता के विग्रह को सुरक्षित रखा गया है और जल्द ही इसे मंदिर में ही स्थापित कराया जाएगा। इस बार धनतेरस पर श्रद्धालु स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के साथ दो और अन्नपूर्णा के दर्शन कर सकेंगे।
48 साल पहले हुआ था विवाद
महंत शंकर पुरी ने बताया कि 48 साल पहले माता अन्नपूर्णा के विग्रह को बदला गया था तो तत्कालीन महंत ने उनको गंगा में प्रवाहित कर दिया था। इसके बाद तत्कालीन कुछ लोगों ने इस पर विवाद किया था। उन्होंने तरह-तरह के आरोप भी लगाए थे। इसलिए निर्णय लिया गया है कि माता के विग्रह को मंदिर में ही स्थापित कराया जाएगा।
नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी…अर्थात हे माता अन्नपूर्णा ! आप सदैव सबका आनंद बढ़ाया करती हो, आपने अपने हाथ में वर तथा अभय मुद्रा धारण की हैं, आप ही सौंदर्य रूप रत्नों की खान हो, आप ही भक्तजनों के समस्त पाप विनाश करके उनको पवित्र करती हो, आप साक्षात् माहेश्वरी हो।