जूना अखाड़े के श्रीमहंत हिमानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि वर्तमान में विज्ञान, आधुनिकतावाद, बाजारवाद के चलते सनातन धर्म लुप्त हो रहा है। भारतीय संस्कृति की परंपराओं को बचाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि भारत के विभिन्न राज्यों से लावारिस अस्थियों को लाकर मां गंगा में विसर्जन करने के लिए वे इस संगठन का हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पूजा माई ने कहा कि वह सभी से निवेदन करती हैं कि अपने स्वजन की अस्थियां गंगा में जरूर प्रहावित करें। ऐसा करने से ही उनकी आत्मा को शांति मिलेगी। देखा जा रहा है कि लोग दाह संस्कार के बाद अपने पूर्वजों को भूल जाते हैं। इसलिए यह अस्थियां लावारिस रूप में श्मशान घाट में पड़ी रहती हैं। गंगा की गोद इन लावारिस अस्थियों को नहीं मिलती। पूजा माई ने कहा कि ऐसे में अपनी मां बीना बुंदकी के साथ मिलकर वह लावारिस अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर मोक्ष दिलाने का प्रयास कर रही हैं।
लावारिस अस्थियां विसर्जित की
हरिद्वार: धर्मयात्रा महासंघ उत्तराखंड की ओर से शनिवार को मुंबई और गुजरात से लाई गई लावारिस अस्थियों का कनखल सती घाट पर वैदिक रीति से विसर्जन किया गया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर पूजा, अशोक अग्रवाल, डा. उपेंद्र गुप्ता, ललिता मिश्रा, मंजू अग्रवाल,सुषमा मिश्रा, जानकी प्रसाद, यशपाल, पंडित जितेंद्र शास्त्री आदि उपस्थित रहे। (संस)