ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 15 जनवरी को मकर संक्रांति का महापर्व मनाया जाएगा। तड़के चार बजे भस्म आरती में पुजारी भगवान महाकाल को तिल के उबटन से स्नान कराएंगे। इसके पश्चात नए वस्त्र व सोने-चांदी के आभूषण से भगवान का श्रंगार किया जाएगा।

भगवान को तिल्ली के लड्डू तथा तिल से बने छप्पन पकवानों का भोग लगाकर आरती की जाएगी। मंदिर में आकर्षक पतंग सज्जा भी होगी। ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा में मकर संक्रांति पर भगवान महाकाल को तिल से स्नान कराने तथा तिल्ली के पकवानों का भोग लगाया जाता है। इस दिन भगवान को गुड़ व शकर से बने तिल्ली के लड्डूओं का भोग लगाकर जलाधारी में भी तिल्ली अर्पित की जाती है। तिल उत्सव की परंपरा में समय के अनुसार साज-सज्जा ने नया रूप लिया है। इस दिन मंदिर में फूल व पतंग से मनोहारी सजावट की जाएगी।
शिप्रा में नर्मदा के जल से होगा पर्व स्नान
मकर संक्रांति पर स्नान व दान का विशेष महत्व है। 15 जनवरी को मोक्षदायिनी शिप्रा में नर्मदा के जल से पर्व स्नान होगा। ज्योतिर्विद पंडित अमर डब्बावाला ने बताया कि सप्तपुरियों में से तीर्थपुरी अवंतिका का धार्मिक महत्व तिलभर अधिक है। ऐसे में प्रतिवर्ष मकर संक्रांति पर देशभर से भक्त शिप्रा स्नान के लिए उज्जैन पहुंचते हैं। श्रद्धालु शिप्रा स्नान के बाद तीर्थ पर वैदिक ब्राह्मणों को तिल गुड़, खिचड़ी, वस्त्र, पात्र, दक्षिणा आदि भेंट करेंगे। इस दिन गायों को हरा चारा तथा भिक्षुकों को भोजन कराने का भी विशेष महत्व है। बता दें कि इस बार सूर्य 14 जनवरी की रात तीन बजे धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश ही मकर संक्रांति कहलाता है, इसलिए 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्वकाल मनाया जाएगा।