आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसे परिवर्तिनी एकादशी, जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। ये व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किया जाता है। स्कंद पुराण, पद्म पुराण, भगवत पुराण आदि ग्रंथों में एकादशी व्रत के बारे में बताया गया है। आज भादौ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी पर आज सुबह भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल के दरबार में हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। इस दौरान भक्तों ने देर रात से ही लाइन में लगकर अपने ईष्ट देव बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए अपनी बारी आने का इंतजार किया तो वही बाबा महाकाल भी भक्तों को दर्शन देने के लिए सुबह 4 बजे जागे। आज पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से भी गुंजायमान हो गया।

आज योगनिद्रा में करवट बदलते हैं भगवान विष्णु
स्कंद पुराण के वैष्णव खण्ड में एकादशी महात्म्य अध्याय में कहा गया है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसे देवशयन एकादशी कहा जाता है। इसके बाद भाद्रपद शुक्ल एकादशी को वे अपनी योगनिद्रा में करवट बदलते हैं, इस कारण इस तिथि को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं।

गणेश उत्सव, बुधवार और एकादशी का विशेष योग
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. सतीश नागर के मुताबिक आज यह एकादशी बुधवार को आई है। अभी गणेश उत्सव भी चल रहा है। ऐसे में इस तिथि का महत्व और अधिक बढ़ गया है। ज्योतिष में बुधवार का कारक ग्रह बुध को माना गया है। ये बुद्धि, वाणी और व्यापार का कारक ग्रह है। इसलिए बुधवार को बुध ग्रह की विशेष पूजा करनी चाहिए। बुधवार के स्वामी गणेश जी माने जाते हैं और एकादशी तिथि के स्वामी विष्णु जी हैं, इसलिए आज इन तीनों देवताओं की विशेष पूजा करने का शुभ योग बन रहा है।

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