धार्मिक मान्यता के अनुसार, चैत्र अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है और सुख तथा सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन पूजा, जप-तप और दान-पुण्य करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।
सनातन धर्म में चैत्र अमावस्या का विशेष महत्व है। इस पावन अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर आस्था की डुबकी लगाते हैं। स्नान और ध्यान के बाद, वे देवों के देव महादेव और मां गंगा की पूजा करते हैं। इस दिन न्याय के देवता शनिदेव राशि परिवर्तन करेंगे, और साथ ही चैत्र अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण भी होगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, चैत्र अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है और सुख तथा सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन पूजा, जप-तप और दान-पुण्य करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। आइए, हम चैत्र अमावस्या की सही तारीख, इसके महत्व और पूजा विधि के बारे में जानें।
चैत्र अमावस्या तिथि
चैत्र माह की अमावस्या तिथि आरंभ: 28 मार्च, शुक्रवार, रात्रि 07:55 मिनट पर
चैत्र माह की अमावस्या तिथि समाप्त: 29 मार्च, सायं 04:27 मिनट पर
सनातन धर्म में उदयातिथि मान है, इसलिए 29 मार्च को चैत्र अमावस्या मनाई जाएगी।
चैत्र अमावस्या पर शुभ योग
इस दिन ब्रह्म और इंद्र योग का संयोग बन रहा है। साथ ही दुर्लभ शिववास योग भी बन रहा है। इन शुभ योगों में गंगा स्नान और भगवान शिव की पूजा करने से परम पुण्यदायी फल मिलता है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, पितृ दोष से भी छुटकारा पाने के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।