काशी को मिनी हिन्दुस्तान भी कहा जाता है। यहां सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए चंद्रावती में अब जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु की जन्मस्थली को पर्यटन की दृष्टि से विस्तारित किया जाएगा।

Chandraprabhu birthplace Kashi center of Hindu Buddhist Jain circuit Tourism increase

हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के सर्किट का केंद्र काशी बनेगी। काशी विश्वनाथ, सारनाथ के बाद जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु की जन्मस्थली चंद्रावती (चंद्रपुरी) के गंगा तट को पर्यटन स्थली के तौर पर विकसित किया जा रहा है। 17.07 करोड़ रुपये खर्च कर तैयार हो रही पर्यटन स्थली मार्च तक तक तैयार हो जाएगी। वाराणसी मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर वाराणसी गाजीपुर एनएच 31 के दाहिने गंगा तट पर चंद्रावती घाट है। यह जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु की जन्मस्थली है। यहां आज भी श्वेतांबर और दिगांबर मंदिर हैं। यहां दुनियाभर से जैन धर्म के मानने वाले तीर्थ करने आते हैं। ऐसे घाट पर जैन परिपथ बन जाने से सारनाथ बौद्ध परिपथ व पास के उमरहां स्वर्वेद महामंदिर धाम व मार्कंडेय महादेव मंदिर पर्यटकों को खूब लुभाएगा। जैन परिपथ के निर्माण से यहां रोजगार के भी अवसर भी बढ़ेंगें। जैन सर्किट तीन धर्मों का सर्किट होगा। 

बनारस में और बढ़ेगा पर्यटन
जलयान से जुड़ जाने से देश विदेश से आने वाले हर काशी के पर्यटक यहां आसानी से आ सकेंगे। यहां का विकास होगा तथा स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। अभी तक तो यहां देश दुनिया से जैन धर्म के स्वावलंबी तीर्थाटन के लिए आते हैं इस सर्किट के चालू होते ही तीनों धर्मों के लोगों का अवागमन हो जाएगा। केंद्र व प्रदेश के पर्यटन विभाग की ओर से चंद्रावती गंगा तट पर घाट के साथ पर्यटन सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। जैन परिपथ परियोजना के तहत एक सुंदर घाट बनाने का कार्य 60 प्रतिशत पूरा हो चुका है। इसका शिलान्यास पिछले वर्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय ने किया था। यहां 200 मीटर लंबा घाट बन रहा है। इसमें तीन प्लेटफॉर्म की सीढ़ियों का निर्माण हो रहा है। घाट के निर्माण में गाबियन और रेटेशन वाल का प्रयोग किया जा रहा है। यह काशी के पुराने घाटों की तरह ही दिखेगा।

घाट पर लगाया जाएगा पोर्टेबल चेंजिंग रूम 
घाट पर आने वाले पर्यटकों की सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। इसमें शौचालय ब्लॉक, विश्रामगृह, सोलर लाइट, पोर्टेबल चेंजिंग रूम बनेगा। यहां क्षेत्र में जगह-जगह साइनेज लगाए जाएंगे। इसपर जैन तीर्थंकरों की जानकारी लिखी जाएगी। यहां आने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए पार्किंग, हेरिटेज लाइट, पत्थर से बनी बेंच और जालीनुमा रेलिंग शामिल है। घाट के बनाने का लक्ष्य वर्ष 2024 तक था लेकिन बाढ़ की वजह से इसमें देरी हुई है। 

गंगा तट पर स्थित चंद्रावती जैन तीर्थंकर की जन्मस्थली के लिए जाना जाता है। इसे पर्यटन स्थली के तौर विकसित किया जा रहा कार्य मार्च 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand