हमारे देश की महानता यहां की संस्कृति अध्यात्म में छिपी हुई है। देश की एकता अखंडता और पारस्परिक सद्भाव को सुदृढ़ करने वाली संतों की वाणियां है। ये बातें नगर के प्रिया नगर कॉलोनी पराहूपुर में वीरेन्द्र प्रताप के आवास पर आयोजित महान सत्संग में मंगलवार को हरिद्वार से आए महात्मा सार्थानंद महाराज ने भारतीय संस्कृति के महत्व को समझाते हुए कहीं। महाराज सार्थानंद महाराज ने गुरु की महिमा और सत्संग को जीवन के लिए आवश्यक बताया। कहा कि भारत की संस्कृति को सजीव रखने के लिए आज भी आवश्यक है कि महापुरूषों और संतो की वाणी से मानव की सुषुप्त चेतना को जागृत किया जाए। कहा कि मानव धर्म अपना कर ही पूरे विश्व में भाईचारा की सद्भावना पनप सकती है। इससे मानव संप्रदाय, जातिवाद तथा अलगाववाद जैसी विध्वंसक प्रवृत्तियों से मुक्त होकर सर्व-धर्म समभाव के मूल तत्व को अपना सके। महात्मा सौम्या बाई, साध्वी आकृति बाई और पीडीडीयू नगर से महात्मा ज्ञानवती बाई, साध्वी किरण बाई ने मानव धर्म का प्रचार किया। कहा कि हर किसी को मन को जागृत करने की जरूरत है।