मोहन भागवत ने कहा कि फिल्म में कुछ अच्छी बातें होती हैं तो कुछ खराब बातें। फिल्म से हर किसी को 10 अच्छी बातें ग्रहण करनी चाहिए। फिल्म मनोरंजन के लिए जरूर है लेकिन हमें उसकी अच्छाई ग्रहण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं संत नहीं बन सकता लेकिन उस ओर दस कदम आगे जरूर चल सकता हूं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा कि ग्रंथ के प्रमाण से लोग भले ही भ्रमित हो सकते हैं, लेकिन संत तो प्रमाणित हैं। मनुष्य जीवन कैसे जिया जाए, इसके लिए संत प्रमाण हैं। ग्रंथ बहुत हैं, उनसे ज्ञान मिलता है।
ज्ञान को बुद्धि से हृदय में उतारने का काम संत करते हैं। संत सारी दुनिया को उन्नत करते हैं। सृष्टि, मानवता, कुटुंब को जोड़कर चलाने की बात को धर्म कहते हैं। इसे ही सनातन धर्म कहते हैं।
भागवत ने कहा कि वे जहां भी धर्म के प्रचार में लगे हैं, वहीं सनातन धर्म को निरंतर आगे बढ़ाने का काम करें। संघ प्रमुख सुबह नौ बजकर 26 मिनट पर आश्रम पहुंचे। आश्रम पहुंचने के बाद आचार्य हरिनंदन बाबा से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना।
इसके बाद वे गुरु आश्रम पहुंचे। यहां के बाद वे साघु-संतों के साथ बैठक की। बैठक के कुछ देर बाद उन्होंने भोजन किया और विश्राम किया। तीन बजे वे महर्षि मेंहीं व महर्षि संतसेवी के समाधि स्थल पर पहुंचे और माल्यार्पण किया। इसके बाद वे फिल्म का टीजर जारी किया। वे दोपहर 3:22 बजे पटना के लिए सड़क मार्ग से निकल गए।