त्रिवेणीघाट पर आयोजित गोकथा में द्वितीय दिन कथावाचक गोपालमणि ने कहा कि जो लोग गोमाता को समझते हैं वो आस्तिक होते है और जो लोग गोमाता को पशु समझते है वे असुर होते हैं। जो लोग श्रद्धा पूर्वक अपने घर गोमाता की सेवा करते हैं, उनको सीधे भगवान की भक्ति का फल प्राप्त हो जाता है। गोमाता में समस्त देवी देवताओं का वास होता है। कथावाचक ने कहा कि गोमाता के गले पर हाथ फेरो तो व्यक्ति के जीवन में प्रेम बढ़ता है। प्रेम का महत्व समाज और मानवता की नींव है। सच्चा प्रेम ऐसा होना चाहिए जो केवल व्यक्तिगत सुख संतोष तक सीमित न रहे, बल्कि पूरे समाज को प्रेरित और शुद्ध करने वाला हो। दुर्भाग्यवश आज का समाज गंदगी, अधर्म और अनैतिकता की ओर अधिक झुकता जा रहा है। ऐसे समय में प्रेम, करुणा और नैतिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है। भाई-भाई के रिश्ते का राम और भरत या लक्ष्मण के रिश्ते से श्रेष्ठ उदाहरण कहीं नहीं मिलता। राम और भरत के बीच जो त्याग, समर्पण और प्रेम था, वह आज के युग में दुर्लभ होता जा रहा है। हमें उनके आदर्शों को अपनाकर अपने परिवार और समाज में प्रेम और सद्भावना को बढ़ावा देना चाहिए।