अकेले कुंभ मेला प्रशासन ने ही लगभग साढ़े नौ करोड़ की जांच कराई। कोरोना जांच में अनियमितता की शिकायतें आने से पहले ही दो लैब का तीन करोड़ का भुगतान कर दिया गया था। हालांकि अब नौ लैबों के भुगतान पर रोक लगा दी गई है।

शासन और जिला प्रशासन की ओर से तो जिले भर में स्नान पर्वों पर कोरोना की जांच कराई ही गई थी। कुंभ मेला प्रशासन ने भी मेला क्षेत्र में कोरोना की अपने स्तर से लैब अधिकृत कराकर जांच कराई। इसमें सरकारी मानकों के आधार पर पांच सौ रुपये प्रति आरटीपीसीआर और 354 रुपये एंटीजन कोरोना टेस्ट रिपोर्ट की दर निर्धारित की गई थी।

मेला अधिष्ठान ने कुल 2 लाख 51 हजार लोगों की कोरोना जांच कराई। इसमें 44278 की आरटीपीसीआर की कीमत दो करोड़ 21 लाख 39 हजार रुपये बनती है। वहीं, 2 लाख 6 हजार 722 एंटीजन कोरोना जांच रिपोर्ट का बजट 7 करोड़ 31 लाख 79 हजार 588 बनता है।

दोनों रिपोर्ट को मिला दें तो 9 नौ करोड़ 53 लाख 18 हजार 588 रुपये बनता है, लेकिन जब कोरोना जांच में गड़बड़झाला सामने आया तो शासन के निर्देश पर डीएम सी रविशंकर ने लैबों के भुगतान पर रोक लगाकर जांच बैठा दी, लेकिन तब तक दो लैबों का पैसा जारी भी हो गया था।

कुंभ मेलाधिकारी स्वास्थ्य डॉ. अर्जुन सिंह सैंगर ने बताया कि दो लैब का भुगतान कर दिया गया है। जिनमें नोवस पैथ लैब हरिद्वार ने एंटीजन के 51459 और आरटीपीसीआर के 11808 टेस्ट किए थे। लैब को 2,41,20,486 का भुगतान कर दिया गया है। इसके अलावा डीएनए लैब देहरादून ने 19804 एंटीजन और 2894 टेस्ट आरटीपीसीआर किए थे। लैब को 84,57,616 का भुगतान कर दिया गया है। जिससे दोनों लैबों को 3,25,78,102 का भुगतान कर दिया गया है, लेकिन शेष लैबों का भुगतान नहीं किया गया है।

 

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