काशी विश्वनाथ धाम में शुक्रवार को मां शृंगार गौरी को 11 नारियल अर्पित कर मानस कथा शुरू हुई। 111 भूदेवों ने बाबा विश्वनाथ को मानस की कथा सुनाई। इस दौरान ज्ञानवापी परिसर हर- हर महादेव से गूंज उठा। 

Manas Katha started by offering 11 coconuts to Maa Shringar Gauri in Kashi Vishwanath Dham

श्रीकाशी विश्वनाथ को नौ दिनों तक अनवरत 111 भूदेव बाबा विश्वनाथ को मानस का पाठ सुनाएंगे। श्री काशी विश्वनाथ धाम में रामचरित मानस नवाह्न पारायण ज्ञान महायज्ञ की शुरुआत शुक्रवार को मां शृंगार गौरी पर 11 नारियल चढ़ाकर हुई। साल में दो बार मां शृंगार गौरी का दर्शन-पूजन होता है। पहला मानस की इस कथा के दौरान और दूसरा चैत्र नवरात्र के दौरान।

शुक्रवार को श्रीकाशी सत्संग मंडल की ओर से 67वें वर्ष के रामचरित मानस नवाह्न पारायण ज्ञान महायज्ञ की शुरुआत हुई। कथा से पहले मां शृंगार गौरी का पूजन किया गया और 11 नारियल अर्पित किए गए। इसके बाद माता की भव्य आरती उतारकर श्रीराम कथा का शुभारंभ हुआ। शृंगार गौरी स्थल पर सुरक्षा की दृष्टि से भारी पुलिस फोर्स तैनात रही। 

सत्संग मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष देवेंद्र कुमार पाठक, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती महाराज, आचार्य सूर्य लाल मिश्र, 111 भूदेव और भक्तों ने जय श्रीराम, हर-हर महादेव और मांशृंगार गौरी की जय… के नारे लगाए। मंदिर की परिक्रमा करने के बाद नंदी के पास एक नारियल की बलि दी गई और नंदी जी का पूजन किया गया।

पूरा ज्ञानवापी परिसर हर हर महादेव के जयकारों से गूंज रहा था। इस आयोजन में संतों और कथा समिति के सदस्यों ने विधि-विधान से पूजा संपन्न की और ज्ञानवापी की मुक्ति के लिए प्रार्थना भी की। इस दौरान डॉ. प्रकाश पांडेय, रवि मिश्रा, गोपीनाथ सेठ, ललन प्रसाद प्रजापति, देवेंद्र उपाध्याय, सर्वज्ञ मिश्रा मौजूद रहे।

Manas Katha started by offering 11 coconuts to Maa Shringar Gauri in Kashi Vishwanath Dham

ज्ञानवापी में निभाई जा रही 400 साल पुरानी परंपरा
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि बाबा विश्वनाथ को रामचरित मानस का पाठ सुनाने की परंपरा 400 साल से चली आ रही है। इस बार कुंभ और होली की वजह से नौ दिवसीय रामकथा देर से शुरू हुई। पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ नौ दिनों तक चलने वाली इस कथा में माता शृंगार गौरी और नंदी महाराज की पूजा का विशेष महत्व है। स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि भले ही नियमित दर्शन-पूजन पर कोर्ट का फैसला बाकी हो, लेकिन चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी और रामकथा के मौके पर माता का पूजन प्राचीन परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कोर्ट में चल रही सुनवाई जल्द सकारात्मक नतीजे देगी और शृंगार गौरी के नियमित दर्शन का रास्ता खुलेगा।

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