काशी में मां अन्नपूर्णा के दरबार में भक्तों की लंबी करतार लगी है। श्रद्धालु स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए 24 घंटे से कतारबद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। प्रसाद के रूप में भक्तों में सोने- चांदी का सिक्का दिया जा रहा है।   साल भर के इंतजार के बाद स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा मंगलवार को 16 भुन्नासी तालों से बाहर आईं। धनतेरस के अवसर पर श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद स्वरूप खजाना वितरण की शुरुआत की गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। भक्तों ने माता अन्नपूर्णा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। इसके बाद उन्हें मां का प्रसाद दिया गया।  आज से श्रद्धालु मां अन्नपूर्णा, भू देवी और महालक्ष्मी के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन कर रहे हैं। जो दो नवंबर तक जारी रहेगा। इसके साथ ही माता से भिक्षा मांगते हुए बाबा विश्वनाथ की रजत प्रतिमा के भी दर्शन मिल रहे हैं। माता के दर्शन के लिए 24 घंटे पहले से ही बैरिकेडिंग में श्रद्धालु कतारबद्ध हो गए थे। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के गर्भगृह के कपाट खुल गए। आजादी से पहले के 16 तालों में बंद मां की स्वर्णिम प्रतिमा का पूजन, शृंगार और आरती के बाद भोर में पांच बजे आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन आरंभ हो गया।मंदिर के महंत शंकर पुरी महाराज ने बताया कि वर्ष में पांच दिन के लिए माता के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन होते हैं। इसके बाद माता के विग्रह के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। माता को जहां रखा गया है वहां पर सिर्फ महंत और पुजारी को ही जाने की अनुमति है। वहीं, मंदिर में सुरक्षा के लिए निजी सुरक्षा एजेंसी के 25 सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। 

Dhanteras 2024 golden Maa Annapurna temple devotees given gold and silver treasure prasad in kashi

माता का मंदिर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के येलो जोन में आता है। पहले तो विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा जांच के बाद ही श्रद्धालुओं को प्रवेश मिलता था लेकिन धाम के निर्माण के बाद अब निजी सुरक्षा एजेंसी के सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। इसके अलावा पुलिस भी मंदिर के आसपास तैनात रहती है।

बांसफाटक से मिल रहा प्रवेश, कालिका गली से निकास
मां अन्नपूर्णा के श्रद्धालुओं को बांसफाटक के रास्ते ढुंढिराज होते हुए अन्नपूर्णा मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है। अस्थायी सीढ़ियों से चढ़कर श्रद्धालु माता के गर्भगृह तक दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। इसके बाद मंदिर के पिछले रास्ते से होते हुए त्रिपुरा भैरवी और सिंहद्वार से होकर बाहर निकल रहे। भोर में पांच बजे से शुरू हुआ दर्शन का सिलसिला रात्रि 11 बजे तक जारी रहेगा।

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