काशी तमिल संगमम 4.0 के शैक्षणिक सत्र में पं. राजेश्वर आचार्य ने कहा कि काशी में जो आया, फिर वह कभी पराया नहीं रहता। वहीं, बीएचयू के पं. ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में पूरे दिन पैनल चर्चा और छात्र-छात्राओं से संवाद हुआ।

Kashi Tamil Sangamam Pt. Rajeshwar Spiritual truth is revealed and ego disappears soon one arrives in Kashi

काशी तमिल संगमम 4.0 में 200 से ज्यादा शिक्षक प्रतिनिधियों ने बीएचयू में शैक्षणिक कार्यक्रम में हिस्सेदारी की। अलग-अलग विभागों में काशी और तमिलनाडु की आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपराओं को समझा। हिंदी विभाग, आईयूसीटीई, आईआईटी बीएचयू और महामना आर्काइव को देखकर बीएचयू की महान परंपराओं को महसूस किया।

पं. ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में एकेडमिक कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता पद्मश्री पं. राजेश्वर आचार्य ने तमिल शिक्षकों से कहा कि काशी में जो आया, फिर वह कभी पराया नहीं रहता। काशी इसलिए शाश्वत है क्योंकि यहां आने वाला अहंकार त्याग देता है। उसके अंदर आध्यात्मिक सत्य का प्रकट होने लगता है। 

सदियों से दक्षिण के लोग काशी आते रहे और संस्कृति में रच बस गए। इस शहर ने कभी भी ऊंच-नीच के भाव से नहीं देखा। यहां पर सामूहिक भक्ति दिखती है। आगे कहा कि दक्षिण के मंदिरों में मूर्तियों नहीं बल्कि मूर्तियों के मंदिर बनाए गए हैं। 

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