मांग पत्र के माध्यम से मांग की गई कि भदैनी की गलियों में नए पत्थर लगाकर, जन्मस्थली अनुरूप विकास किया जाए। जैन घाट का विकास हो और भगवान श्रेयांसनाथ की स्मृति में सारनाथ में भव्य द्वार बनाया जाए। भगवान चंद्रपभु की जन्मस्थली का विकास किया जाए।

जैन तीर्थंकरों की नगरी काशी को मांस मदिरा से मुक्त किया जाए। भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्याण की पूर्व संध्या पर जैन समाज ने शासन और प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि अयोध्या मांस-मदिरा मुक्त है तो काशी मुक्त क्यों नहीं हो सकती है?
दिगंबर जैन महासमिति के अध्यक्ष डॉ. केके जैन, महामंत्री राकेश जैन और उपाध्यक्ष प्रदीप चंद जैन ने प्रशासन से दस सूत्री मांग की है। इसमें कहा है कि जिस तरह काशी बाबा विश्वनाथ के नाम से जानी जाती है उसी तरह जैन धर्म में भी काशी का अत्यंत महत्व है क्योंकि काशी को चार जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली होने का सौभाग्य प्राप्त है।
इसलिए काशी विश्वनाथ की तर्ज पर ही शहर में स्थित चारों भगवानों की जन्मस्थली का विकास किया जाए। 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की जन्मस्थली भेलूपुर में उनकी स्मृति में भव्य द्वार बनाया जाए। भेलूपुर मार्ग का नाम भगवान पार्श्वनाथ पथ रखा जाए। आठवें तीर्थंकर भगवान सुपार्श्वनाथ की जन्मस्थली भदैनी में स्थित मंदिर में जाने की गली एकदम बैठ चुकी है।
कैंट स्टेशन पर चारों भगवान की जन्मस्थली के संदर्भ में एक डिजिटल बोर्ड लगाया जाए जिससे आने वाले तीर्थ यात्रियों को जैन तीर्थ स्थल के बारे में पता चल सके। पर्यटन विभाग द्वारा चारों जन्म स्थलियों को जोड़ने के लिए योजना बनाई जाए। नरियां स्थित भगवान महावीर के मंदिर का पूर्ण विकास किया जाए।