रविवार, 7 सितंबर को साल का पहला और आखिरी चंद्रग्रहण लगेगा, जिसे भारत के कुछ इलाकों में देखा जा सकेगा। धार्मिक ग्रंथों में ग्रहण को अशुभ माना गया है, इस दौरान पूजा-पाठ नहीं होता और मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण के नियम सूतक काल से ही लागू हो जाते हैं। चंद्रग्रहण में 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है। ऐसे में सूतक काल की शुरुआत से ही मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं।
इस वर्ष चंद्रग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:58 बजे से शुरू होगा, जो ग्रहण समाप्त होने तक रहेगा। चंद्रग्रहण का प्रभाव 12 राशियों पर होगा। साथ ही इस दौरान मंदिरों में भगवान की आरती, पूजन और भोग के समय में भी बदलाव होगा। ऐसे में अगर आप, रविवार को धार्मिक नगरी उज्जैन में पूजन-अर्चन या भगवान के दर्शन के लिए आ रहे हैं, तो यह खबर आपके काम है।
कालभैरव मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश चतुर्वेदी ने बताया कि सूतक काल शुरू होते ही मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश बंद हो जाएगा। सूतक लगने से पहले ही भगवान कालभैरव का विशेष पूजन, अर्चन, आरती और मदिरा का भोग लगाया जाएगा। इसके बाद अगले दिन सोमवार सुबह भगवान कालभैरव का पुनः पूजन-अर्चन कर भोग अर्पित किया जाएगा। सूतक काल और चंद्रग्रहण के दौरान भगवान को न तो स्पर्श किया जा सकेगा और न ही भोग लगाया जा सकेगा।
महाकालेश्वर मंदिर की शयन आरती का समय बदला
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में रविवार रात 9:58 बजे ग्रहण की शुरुआत होगी। इसी कारण प्रतिदिन होने वाली शयन आरती का समय बदलकर रात 9:15 बजे कर दिया गया है। आरती ग्रहण शुरू होने से पहले 9:45 बजे तक समाप्त कर दी जाएगी, इसके बाद मंदिर के पट बंद हो जाएंगे। सोमवार सुबह की भस्म आरती से पहले मंदिर का शुद्धिकरण होगा। इसके बाद बाबा महाकाल का पंचामृत अभिषेक कर विशेष पूजन-अर्चन किया जाएगा।