घटना मध्य प्रदेश जिला खरगोन जलकोटी आश्रम सहस्त्रधारा महेश्वर की है जहां पर वर्षों से रह रहे बुजुर्ग मनु महाराज कृष्ण महाराज महाराज जी को गांव के लोगों के साथ मिलकर वहां के एसडीएम और तहसीलदार हैं मंदिर को अपने कब्जे में लिया और बुजुर्गों को बेइज्जत करके वहां से भगा दिया इस घटना की संत समाज निंदा करता है प्रशासन को जहां साधु संतों का सहयोग करना चाहिए वही मध्य प्रदेश सरकार में कुछ ऐसे भ्रष्ट अधिकारी हैं जो हिंदू समाज के लिए कार्य कर कर सरकार को ही बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं आने वाले चुनाव में जिसके परिणाम सरकार के विरोध में जा सकते हैं जहां भाजपा की सरकार में ही मठ मंदिर आश्रम से साधुओं को बेइज्जत करके बता जा रहा है और कहीं से लाकर किसी पुजारी को मंदिर में बिठाया जा रहा है और मंदिर को अपने कब्जे में लेकर जमीन हड़पने का कार्य किया जा रहा है मध्य प्रदेश घटना यही प्रतीत होता है बिना प्रशासन की मिलीभगत के प्रशासन संत समाज समाज परिवार सरकार से आग्रह करता है कि इस घटना की विस्तृत विवेचना हो और बुजुर्ग साधु को उसका स्थान दिलाने की प्रशासन मदद करें और जो अफसर इस प्रकरण में शामिल है उनको तत्काल प्रभाव से हटाया जाए क्योंकि इस तरह की घटना किसी भी प्रकार से सरकार के पक्ष में नहीं है हिंदू समाज संत समाज इस घटना लेकर लगता है कि साधु समाज बीजेपी सरकार में ही असुरक्षित महसूस कर रहा है प्रशासन के अधिकारी अपनी ही राग अलाप रहे हैं जबकि पिछले वर्षों से उस मंदिर की देख ले की व्यवस्था कौन देख रहा है कैसे देख रहा है इसकी जानकारी लिए बिना ही साधु की गैरमौजूदगी में मंदिर का ताला तोड़कर वहां पर किसी अन्य को बिठा दिया जाता है और साधु को अपमानित कर वहां से भगा दिया जाता है बुजुर्ग लगातार प्रशासन से अपनी सुरक्षा की गुहार लगा रहा था उसके पत्र भी शिकायत पत्र भी लगातार प्रशासन को भेज रहा था प्रशासन ने उन्हें मंदिर से बता दिया क्योंकि प्रकरण मंदिर से लगी हुई जमीन का है /भूरे लाल की नजर कुछ जमीन पर थी परंतु साधु के होते हुए उस जमीन पर कोई कब्जा नहीं कर पा रहा था इसलिए उनको हटाने के लिए प्रशासन की मदद लेकर उन्हें वहां से भगा दिया गया इस घटना में प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है क्योंकि उन्होंने बिना जाने समझे वर्षों से रह रहे साधु को वहां से भगा दिया अखाड़े की संपत्ति जो साधु ने अपने खून पसीने से खींचकर बनाई होती है उसे बाहर कर दिया जाता है और जमीन के लालच में किसी को भीकिसी भी अनजान शख्स को मां बिठा दिया जाता है जिससे वहां के जमीन का बंदरबांट हो सके अखाड़े की संपत्ति किसी भी गलत को नहीं देती जा सकती है गलत को नहीं दी जा सकती है परंतु प्रशासन अपनी ही चला रहा है ना किसी से पूछना है मैं किसी साधु संत की राय ले रहा है यदि प्रशासन को लग रहा है कि वह कुछ गलत भी हो रहा है तो संबंधित अखाड़े से संपर्क कर कर इस समस्या का निदान हो सकता था परंतु प्रशासन ने ऐसा नहीं किया और स्वयं ही न्यायाधीश बनकर फैसला सुना दिया और साधु संत को वहां से भगा दिया साधु अपने मंदिर की सुरक्षा या अपनी सुरक्षा के लिए प्रशासन से ही मदद की गुहार लगा रहा था परंतु प्रशासन ने ही उसको गुनेगार साबित कर कर वहां से भगा दिया घटना की संत समाज परिवार निंदा करता है और जल्द से जल्द साधु को स्थान दिलाने की दिला कर ही रहेगा प्रशासन किसी भी साधु-संत को इस तरह से बेइज्जत करके हटा नहीं सकता क्योंकि मंदिर पर अधिकार सर्वप्रथम संत समाज का होता है जो हमेशा निस्वार्थ मंदिर की सेवा करता है इस घटना का साधु-संतों में प्रशासन की इस निंदनीय क्रिया क्यों देखकर नहीं लगता कि सरकार साधु-संतों के हित में कार्य कर रही है आने वाले चुनाव में इसका पूरा प्रभाव पड़ सकता है इसलिए साधु संतों ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज चौहान से मिलकर इस घटना की विस्तृत जानकारी देने का फैसला किया है और इस घटना की जांच उच्च स्तरीय अधिकारियों से कराने की मांग करता है /इस घटना को लेकर जल्द ही साधु संत खरगोन में एकत्रित होकर धरना प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है/