धार्मिक नगरी उज्जैन में बुधवार को सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया गया। दुर्गाष्टमी पर बुधवार को कलेक्टर आशीष सिंह और एसपी सत्येंद्र शुक्ल ने माता महालया और महामाता को मदिरा का भोग लगाया। शहर में भी शराब की धार चढ़ाई गई।

उज्जैन धार्मिक नगरी है जहां का समृद्ध इतिहास है। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर है तो काल भैरव सेनापति के रूप में विद्यमान हैं जहां देशभर के लोग आते हैं और भैरव को शराब चढ़ाते हैं। इसके अलावा भी कई अन्य सिद्ध स्थल भी उज्जैन में स्थित हैं। पुरातन नगरी अवंतिका की परंपराएं भी प्राचीन है और आज भी इन परंपराओं का निर्वाह किया जा रहा है। इन्हीं परंपराओं में से एक है दुर्गाष्टमी पर चौबीस खंभा माता को शराब की धार चढ़ाना। उज्जैन का भी जो कलेक्टर रहता है वह माता को मदिरा की धार चढ़ाकर भोग लगाता है। इसके बाद शहर में करीब 27 किमी तक यात्रा निकलती है जिसमें धार चढ़ती है।

राजा विक्रमादित्य के समय शुरू हुई परंपरा
उज्जैन की इस परंपरा के पीछे कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य के समय यह पूजा शुरू हुई थी। राजा विक्रमादित्य पूजन करते थे। महामारी नगर में न आए इसके चलते ऐसा किया जाता था। तब से आज तक यह परंपरा जारी है और कलेक्टर इसका निर्वाह करते हैं। जो भी कलेक्टर रहता है वह दुर्गाष्टमी पर चौबीस खंभा माता मंदिर में महालया और महादेवी माता को शराब की  धार चढ़ाता है।

बुधवार को जब कलेक्टर-एसपी माता को मदिरा की धार चढ़ाने पहुंचे तो बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। भोग लगाने के बाद शराब की हांडी लेकर कलेक्टर निकले और धार चढ़ाई। यात्रा की शुरुआत में कलेक्टर एसपी साथ रहते हैं बाद में करीब 27 किमी की परिधि तक धार चढ़ाई जाती है।

 

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