इलाहाबाद के जैसी होली कहीं नहीं होती। पूरा शहर ही एक रंग में रंग उठता है। लोकनाथ, दारागंज, मुट्ठीगंज, अतरसुइया और बांसमंडी ये सारे के सारे मोहल्ले नए सिरे से जाग उठते हैं। कपड़ा-फाड़ होली को भला कोई कैसे भूल सकता है।

इलाहाबाद के जैसी होली कहीं नहीं होती। पूरा शहर ही एक रंग में रंग उठता है। लोकनाथ, दारागंज, मुट्ठीगंज, अतरसुइया और बांसमंडी ये सारे के सारे मोहल्ले नए सिरे से जाग उठते हैं। कपड़ा-फाड़ होली को भला कोई कैसे भूल सकता है। स्टेनली रोड से फाफामऊ तक सड़कों पर महुआ चू रहा है। सड़कें भी जैसे आदमी की तरह ही लहरा रही हैं। इस बार भी होली का रंग शहर पर चढ़ चुका है। ठठेरी बाजार में पिचकारियां सक्रिय हो गई हैं। हर तरफ नाकाबंदी चल रही है। होली आई रे कन्हाई की अनुगूंज हवाओं में है।