शृंगेरी पीठ के शंकराचार्य विधुशेखर भारती ने संकट मोचन मंदिर में दर्शन करने के साथ ही बाबा कालभैरव का आशीर्वाद लिया। साथ ही आंज्नेय स्तोत्र से स्तुति की और अन्नपूर्णा मंदिर में कुंभाभिषेक अनुष्ठान में शामिल हुए।

शृंगेरी पीठ के शंकराचार्य विधुशेखर भारती ने बुधवार को भी शहर के मंदिरों में दर्शन-पूजन किया। उन्होंने काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव, संकट मोचन मंदिर में दर्शन-पूजन किए। अन्नपूर्णा मंदिर में चल रहे कुमकुमार्चन, वेद व पुराण पारायण सहित विभिन्न अनुष्ठानों में शामिल हुए।
शंकराचार्य सुबह बाबा कालभैरव मंदिर पहुंचे। यहां महंत राजेश मिश्रा और वीरेंद्र मिश्रा बबलू ने कुंभ देकर शंकराचार्य का स्वागत किया। शंकराचार्य ने बाबा को पंचामृत स्नान कराया। इसके बाद वस्त्र धारण कराया और आभूषण चढ़ाया। आठ तरह के 25 किलो फलों का भोग लगाकर आरती की।
उन्होंने श्रीआदि शंकराचार्य द्वारा रचित काल भैरवाष्टक की स्तुति की। इसके बाद वह संकट मोचन हनुमान मंदिर पहुंचे। जहां पर मंदिर के महंत विश्वंभर नाथ मिश्र ने पूर्णकुंभ देकर शंकराचार्य का स्वागत किया। शंकराचार्य ने हनुमान को तुलसी की माला, वस्त्र, लड्डू आदि अर्पित कर आरती उतारी। आंज्नेय स्तोत्र से स्तुति की।
मंदिर की परिक्रमा के बाद उन्होंने राम दरबार के दर्शन किए। इसके बाद वह शृंगेरी मठ महमूरगंज पहुंचे। यहां मराठी, गुजराती, मारवाड़ी, बंगाली दक्षिण भारतीय आदि समाज के अनुयायियों ने पाद पूजन और भिक्षा वंदना की। प्रो. गोपबंधु मिश्र ने संस्कृत में स्वरचित अभिनंदन पत्र का भाषण कर शंकराचार्य को समर्पित किया। शंकराचार्य के साथ शृंगेरी मठ के प्रशासक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीए मुरली, प्रबंधक चल्ला अन्नपूर्णा प्रसाद, चिंतामणि गणेश मंदिर के महंत चल्ला सुब्बाराव, संतोष सोलापुरकर, षडानन पाठक आदि रहे।
कुंभाभिषेक : 108 वैदिक ब्राह्मणों ने किया भगवती अन्नपूर्णा का अभिषेक
अन्नपूर्णा मंदिर में चल रहे नौ दिवसीय कुंभाभिषेक के पांचवें दिन बुधवार को भी 18 पुराणों और 4 वेदों का पारायण व कुमकुमार्चन आदि अनुष्ठान हुए। 108 वैदिक ब्राह्मणों ने भगवती का सविधि पूजन अर्चन के बाद पंचामृत अभिषेक किया। नूतन वस्त्र धारण कराया गया। मंत्रोच्चार के साथ हवन पूजन हुआ।