देवरिया-कसया मार्ग पर एक वाटिका में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन बालव्यास श्रीकांत शर्मा ने कहा कि भगवान भक्तों के प्रति अत्यंत दयालु हैं। संकट पड़ने पर वह भक्त की रक्षा करने स्वयं आते हैं। समुद्र मंथन से एक बार 14 रत्न मिले पर आत्ममंथन सबसे बड़ा है, जिससे परमात्मा प्राप्त होते हैं।