अहोई अष्टमी के व्रत में अहोई माता के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। इस दिन माताएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और रात को तारों को देखकर अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं। इस दिन राधा कुंड में स्नान करने का भी विशेष महत्व है।

मथुरा में अहोई आष्टमी के पर्व पर राधाकुंड आस्था की आभा से जगमगा उठा है। मन में संतान सुख की कामना और राधा नाम जपते हुए बड़ी संख्या में निसंतान दंपतियों ने अहाई अष्टमी के अवसर पर राधा कुंड में डुबकी लगाई। बृहस्पतिवार रात ठीक 12 बजे महास्नान शुरू हुआ। इसके बाद आस्था रूपी संगम में डुबकी लगाने की होड़ मच गई। एक तो किसी ने तीन डुबकी लगाई। हर ओर भक्ति भाव लिए श्रद्धालु श्रीराधा-कृष्ण का नाम जपते दिखे। महास्नान के लिए बृहस्पतिवार सुबह से राधा कुंड के घाटों पर निसंतान दंपती जुटने लगे थे। देर शाम तक घाट चारों ओर श्रद्धालुओं के सैलाब दिखा। आधी रात से शुरू हुए स्नान का क्रम शुक्रवार सुबह तक जारी रहा। कार्तिक नियम सेवा करने वाले भक्तों ने भी कुंड में आस्था की डुबकी लगाई। स्नान से पूर्व निसंतान दंपतियों ने गिरिराज महाराज की परिक्रमा की। स्नान के लिए बड़ी संख्या में ऐसे श्रद्धालु भी परिवार संग पहुंचे जिनकी मनोकामना पूरी हो गई थी।
यह है मान्यता
मान्यता है कि अहाई अष्टमी की अर्द्धरात्रि को राधा श्याम कुंड के जल में सभी देवी देवता विराजमान रहते हैं। इन कुंडों में स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संतान की भी प्राप्ति होती है। इस कामना की पूर्ति के लिए देश के कोने-कोने से भक्त राधाकुंड आते है। अहोई अष्टमी को श्री राधा व कृष्ण कुंड प्राकट्य दिवस भी कहा जाता है।