हरिद्वार। धर्मनगरी की प्राचीन धर्मशालाओं पर संकट है। धर्मशालाओं के ट्रस्टी अवैध तरीके से धर्मशालाओं का स्वरूप बदल रहे हैं। मुनाफा कमाने के लिए धर्मशालाओं को होटल और व्यावसायिक उपयोग में ला रहे हैं। अखिल भारतीय धर्मशाला प्रबंधक सभा के अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा ने धर्मशालाओं का अस्तित्व खत्म करने की शिकायत पर सिटी मजिस्ट्रेट की ओर से जिला पर्यटन विभाग से जानकारी मांगी थी। जिला पर्यटन अधिकारी ने जवाब देते हुए कहा कि ऐसी आवासीय इकाई, धर्मशाला जिनका अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है, कार्यालय स्तर से उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है।

धर्मनगरी में यात्रियों की सहूलियत के लिए प्राचीन धर्मशालाएं हैं। इनमें ठहरने का मामूली किराया होता है। धर्मशालाओं का संचालन ट्रस्ट सदस्यों की ओर से किया जाता है, लेकिन समय के साथ धर्मशालाओं का अस्तित्व खत्म हो रहा है। ट्रस्टी धर्मशालाओं को बंद कर रहे हैं। वे यात्रियों का आवागमन बंद होने से धर्मशालाओं का अवैध तरीके से स्वरूप बदल रहे हैं। इनमें नेताओं से लेकर भूमाफिया का गठजोड़ है। बिना अनुमति के धर्मशालाओं को होटल और कांप्लेक्स बनाया जा रहा है।

धर्मशालाओं का पंजीकरण सराय एक्ट 1860 में होता था, लेकिन बीते कुछ साल पूर्व पंजीकरण अब उत्तराखंड पर्यटन एवं यात्रा व्यवसाय नियमावली में हो रहा है। पर्यटन विभाग में पंजीकरण होता है। नगर निगम में भी धर्मशालाओं में यात्रियों के स्वास्थ्य की दृष्टि से एनओसी दी जाती है। अखिल भारतीय धर्मशाला प्रबंधक सभा के अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा ने अवैध तरीके से धर्मशालाओं का अस्तित्व खत्म करने की शिकायत की थी। जिला प्रशासन के आदेश पर सिटी मजिस्ट्रेट ने जिला पर्यटन अधिकारी से इस मामले में रिपोर्ट मांगी थी। जिला पर्यटन अधिकारी ने सिटी मजिस्ट्रेट के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि जिस इकाई का अस्तित्व ही समाप्त हो गया, कार्यालय स्तर पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
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धर्मशालाओं के अवैध तरीके से होटल एवं व्यावसायिक कांप्लेक्स में तब्दील करने की शिकायत पर जांच कराई गई है। जांच आख्या अभी प्राप्त नहीं हुई है। यदि जांच में गड़बड़ी मिलती है तो भौतिक सत्यापन कराया जाएगा। अवैध तरीके से धर्मशालाओं का स्वरूप बदलने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -सी रविशंकर, जिलाधिकारी
धर्मशालाओं का पंजीकरण उत्तराखंड पर्यटन एवं यात्रा व्यवसाय नियमावली में होता है। अवैध तरीके से धर्मशालाओं का स्वरूप बदलने की शिकायत पर सिटी मजिस्ट्रेट की ओर से पर्यटन विभाग को जांच सौंपी थी। पर्यटन विभाग ने झूठी आख्या देकर सिटी मजिस्ट्रेट को गुमराह करने का प्रयास किया है। गलत रिपोर्ट देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

 

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