बर्खास्त महंत के खिलाफ एफआईआर के लिए दारागंज थाने में तहरीर दे दी गई है। निरंजनी अखाड़े की संगमनगरी के अलावा गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में अरबों रुपये की भूमि और भवनों की संपदा है।

Mahant of Niranjani Akhara sold the monastery for three crores, investigation into Panch Parmeshwar was conduc

महाकुंभ से पहले निरंजनी अखाड़े के एक महंत ने तीन करोड़ रुपये में अलोपीबाग में स्थित मठ का भवन बेच दिया है। भवन का सौदा होने की जानकारी मिलने के बाद पंच परमेश्वर की जांच बैठा दी गई। साथ ही निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने पंच परमेश्वर की रिपोर्ट पर भवन बेचने के आरोपी महंत महावीर गिरि चोटी को अखाड़े से बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्त महंत के खिलाफ एफआईआर के लिए दारागंज थाने में तहरीर दे दी गई है। निरंजनी अखाड़े की संगमनगरी के अलावा गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में अरबों रुपये की भूमि और भवनों की संपदा है। शहर के अलोपीबाग स्थित भवन संख्या 387/123 को महंत महावीर गिरि चेला लक्ष्मी नारायण गिरि ने वाराणसी की अस्सी निवासिनी रितिका पांडेय के नाम तीन करोड़ रुपये में बेच दिया है। इस भवन पर महंत महावीर गिरि के साथ ही महंत आनंद गिरि का भी नाम दर्ज था।

लेकिन, महावीर गिरि ने फर्जी वसीयतनामा बनवाकर और महंत आनंद गिरि को रिकॉर्ड में मृतक दिखाकर भवन का सौदा कर डाला। पंच परमेश्वर की रिपोर्ट के मुताबिक जब यह भवन महंत महावीर गिरि ने बेचा, तब आनंद गिरि जीवित थे। जबकि, महंत आनंद गिरि ने उस भवन के अलावा अन्य भवन और भूमि का अपने शिष्य महंत राम सेवक गिरि के नाम से रजिस्टर्ड वसीयतनामा कर पहले ही कर दिया था। अलोपीबाग का भवन बिकने की जानकारी मिलने के बाद महंत राम सेवक गिरि ने दारागंज थाने में महंत महावीर गिरि के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए तहरीर दी है। उधर, अलोपीबाग में मठ बिकने की जानकारी मिलने के बाद पंचायती अखाड़ा निरंजनी की कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई। निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी की मौजूदगी में हुई इस बैठक में महंत महावीर गिरि को भवन बेचने के आरोप में अखाड़े से बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया। साथ ही महावीर गिरि को निरंजनी अखाड़े की सभी मढि़यों और संपत्तियों से बेदखल करने का भी निर्णय लिया गया।

इस बैठक में बलबीर गिरि,दिगंबर उमेश भारती, दिगंबर गंगा गिरि, दिगंबर राकेश गिरि, महंत ओंकार गिरि, महंत नरेश गिरि और महंत रवींद्र पुरी शामिल थे। महंत महावीर गिरि को अलोपीबाग में एक संत को मृतक दिखाकर अखाड़े का भवन बेचने का दोषी पाया गया है। इस मामले में महंत महावीर गिरि को अखाड़े से बर्खास्त कर दिया गया है। 

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