सनातन धर्म-संस्कृति के संरक्षण और प्रचार के लिए जूना अखाड़ा वंचित-कमजोर वर्ग के संतों को महाकुंभ में एकजुट करने के साथ ही उन्हें बड़े पदों पर आसीन कराएगा। अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरि के नेतृत्व में इसकी जिम्मेदारी जूनागढ़ के जगद्गुरु गुजरात पीठाधीश्वर महेंद्रानंद गिरि को सौंपी गई है।

महाकुंभ में जूना अखाड़े में 370 दलित महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत और पीठाधीश्वर बनाए जाएंगे। इनकी सूची तैयार कर ली गई है। संगम की रेती पर अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे महाकुंभ में इन दलित संतों का पट्टाभिषेक होगा और फिर सनातन धर्म के प्रचार के लिए जिम्मेदारियां तय की जाएंगी। सनातन धर्म-संस्कृति के संरक्षण और प्रचार के लिए जूना अखाड़ा वंचित-कमजोर वर्ग के संतों को महाकुंभ में एकजुट करने के साथ ही उन्हें बड़े पदों पर आसीन कराएगा। अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरि के नेतृत्व में इसकी जिम्मेदारी जूनागढ़ के जगद्गुरु गुजरात पीठाधीश्वर महेंद्रानंद गिरि को सौंपी गई है। महेंद्रानंद ने अब तक अलग-अलग वर्ग के 907 लोगों को संन्यास दीक्षा दिलाई है। इसमें 370 संन्यासी दलित समाज के हैं। इन सभी को सनातन धर्म की शुचिता-शुद्धता और आचार के बारे में प्रशिक्षित भी किया गया है। कर्मकांड की भी उन्हें जानकारी दी गई है।
स्वामी महेंद्रानंद खुद दलित समाज से हैं। वह बताते हैं कि सनातन धर्म को संरक्षित करने के लिए देश ही नहीं दुनिया भर से वंचितों को जोड़ा जा रहा है। ऐसे 907 संतों में 370 दलित समाज से हैं। यह सभी दलित संत महाकुंभ में आएंगे। पट्टाभिषेक के बाद इनको महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत, पीठाधीश्वर, श्रीमहंत, थानापति सहित अन्य पदों पर आसीन कराया जाएगा। यमुना तट स्थित मौजगिरि मंदिर परिसर में चार माह पूर्व दलित संत कैलाशानंद को महामंडलेश्वर बनाया गया था। महेंद्रानंद गिरि बताते हैं कि इस दौर में कोई भी मजहब या पंथ हो, सभी के निशाने पर सनातन को मानने वाले लोग हैं। ऐसे में सनातनियों को जागरूक करने और आने वाली पीढ़ियों को उसकी प्राचीनता और उसके महत्व से परिचित कराया जाना चाहिए।